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सम्मिलित सियारामशरण गुप्त




चलो चलोइस अमलतास के फूल न तोड़ो

ठीक नहीं यह इस रसाल की ममता छोडो

विस्मित था मैंभला यहाँ ऐसा है भय क्या

यह निषेध किसलिएगूढ़ इसमें आशय क्या



मेरा मन तो हरा हो गया इन्हें निरख कर

दोनों का यह रुचिकर रूप नयनों से चखकर

और अधिक के हेतु समुत्सुक हूँ मैं मन में

यह दोनों जड़ विटपी यहाँ इस विरल विजन में



भेंट रहे है एक दुसरे को खिल खिल कर

निज निज सीमा लांघ सहोदर से ही मिल कर

इसकी शाखा के लिए कनक कुसुमों की डाली

उसकी कर में मधुर फलों की भेंट निराली



पुल्कंदोलित पात्र परस्पर की छाया में

छाया भी अविभिन्न परस्पर की माया है


किन्तु बताया गया मुझेमैंने भी जाना

कटु प्रसंग वहशोचनीय दस बरस पुराना

दो स्वजनों में मिले झूले इस भूमि खंड पर

वैर भाव बढ़ गया चंड होकर प्रचंडतर


 कहा एक ने - " स्वत्व यहाँ इस पर हैं मेरा "

कहा अन्य ने- "कौन कहाँ का तू क्या तेरा ?"

बढ़ते बढ़ते हुआ क्रोध का रूप भयानक

आपस में चल पड़े एक दिन शस्त्र अचानक



रुधिर बहते हुए यहीं दोनों वो सोये

इसी भूमि पर सहठ प्राण दोनों ने खोये

उसी बरस नव रुधिर पिए उस क्रूर कलह का

दीख पड़े यहाँ यह दो दुम सहसा



ठहरो मत इस ठौर ये फूल न तोड़ो

ठीक नहीं यहइस रसाल की ममता छोडो

रिपु का इनका प्रेम मिलनशापित यह धरती

कलह प्रेत की मूर्ती यहाँ दिन रात विचरती

कलह प्रेत की मूर्ती !- अरे ओ मानव भोले,

धरती के इस प्रेम तीर्थ में पावन हो ले

तू इसको रुधिराक्ता करों से आया छूने

खण्ड खंड कर इसे काटना चाहा तूने



पर अब भी यह वहीँ अखंडित है अमलिन है

चिर नूतन फल फूल लिए शोभित प्रतिदिन है

तुम दो का विष वैर शांति सह पी जाती है

नव नव जीवन सुधा पिला लौटा लाती है



तुझको फिर फिर यहाँ अहा ! तरु तरु त्रण त्रण में

बांधे है यह तुझे प्रेम प्रियता के ऋण में

नहीं भूलता कलह तदापि हाँ तू यह कैसा

क्या रिपु रिपु में मंजु मिलन हो सकता ऐसा ?



मात: वसुधे स्वजन स्वजन का वैर पंक वह

तेरी सुरसरि मध्य हुआ है निष्कलंक यह

तेरी इस युग विटपी तले मैं निर्भय घूमूं

लेकर यह फल-फूल इन्हें पत्तों सा झूमूँ



चलो चलोइस अमलतास के फूल न तोड़ो, ठीक नहीं यहइस रसाल की ममता छोडो
विस्मित था मैंभला यहाँ ऐसा है भय क्या, यह निषेध किसलिएगूढ़ इसमें आशय क्या

मेरा मन तो हरा हो गया इन्हें निरख कर, दोनों का यह रुचिकर रूप नयनों से चखकर
और अधिक के हेतु समुत्सुक हूँ मैं मन में, यह दोनों जड़ विटपी यहाँ इस विरल विजन में

भेंट रहे है एक दुसरे को खिल खिल कर, निज निज सीमा लांघ सहोदर से ही मिल कर
इसकी शाखा के लिए कनक कुसुमों की डाली, उसकी कर में मधुर फलों की भेंट निराली

पुल्कंदोलित पात्र परस्पर की छाया में ,छाया भी अविभिन्न परस्पर की माया है

१.      कवि को अमलतास के फूल तोड़ने से मन क्यों किया जा रहा है?

२.       उनको निखरकर कवि का मन खुश क्यों हो गया था ?

३.       कवि विस्मित क्यों हुआ?

४.      और अधिक के हेतु समुत्सुक हूँ मैं मन में, कथन का आशय स्पस्ट कीजिये

५.      चलो चलो और ठीक नहीं यह से कवि का क्या आशय है ?

६.      गूढ़ इसमें आशय क्या - कवि की उत्सुकता का प्रतीक है कैसे और क्यों स्पस्ट कीजिये

७.      कवि का मन इन पेड़ों को देखकर क्यों खुश हो गया इस ख़ुशी के अन्दर कवि की कौन सी भावना छुपी है ?

८.      कवि ने इस कविता में किस कथा का सहारा लिया है ?

९.      दोनों पेड़ सुनसान जंगले में किस प्रकार मिल रहे हैं?

१०.  दोनों पेड़ों की शाखाएं किससे सुशोभित हो रहीं हैं ?

११.  दोनों पेड़ों की छाया किस प्रकार लग रहीं हैं ?

१२.  हमें संसार में किस प्रकार रहना चाहिए?

१३.  निज निज सीमा लाँघ सहोदर से हिल मिल कर पंक्यी को समझाते हुए इसमें निहित शिक्षा भी लिखिए

१४.  रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए

  

किन्तु बताया गया मुझेमैंने भी जाना, कटु प्रसंग वहशोचनीय दस बरस पुराना
दो स्वजनों में मिले झूले इस भूमि खंड पर,  वैर भाव बढ़ गया चंड होकर प्रचंडतर

कहा एक ने - " स्वत्व यहाँ इस पर हैं मेरा", कहा अन्य ने- "कौन कहाँ का तूक्या तेरा"
बढ़ते बढ़ते हुआ क्रोध का रूप भयानक, आपस में चल पड़े एक दिन शस्त्र अचानक

रुधिर बहते हुए यहीं दोनों वो सोये, इसी भूमि पर सहठ प्राण दोनों ने खोये
उसी बरस नव रुधिर पिए उस क्रूर कलह का, दीख पड़े यहाँ यह दो दुम सहसा

ठहरो मत इस ठौर ये फूल न तोड़ो, ठीक नहीं यहइस रसाल की ममता छोडो
रिपु का इनका प्रेम मिलनशापित यह धरती, कलह प्रेत की मूर्ती यहाँ दिन रात विचरती

१.      कवि को उस कटु प्रसंग के बारे में कैसे पता चला तथा प्रसंग कितना पुराना था?

२.      दोनों भाईयों में किस बात पर झगडा हुआ?/ झगडे का मूल कारण क्या थासमझाकर लिखिए

३.      दोनों स्वजन एक दूसरे को क्या कहने लगे?

४.      दोनों भाइयों के झगड़े/ क्रोध का क्या परिणाम हुआ?

५.      यहाँ किन दोनों ने प्राण खोये और क्योंदोनों भाइयों को अपने प्राण क्यों खोने पड़े

६.      क्रोध करने से क्या हानियाँ होती हैं?

७.      जहाँ दोनों भाइयों का खून गिरा था वहां उसी वर्ष क्या दिखाई दिया ?

८.      लोगों ने कवि को वहां रुकने से क्यों मना किया?/आवाज़ फूल तोड़ने से क्यों रोकती है ?

९.      उस धरती को शापित क्यों कहा गया है?

१०.  कलह प्रेत की मूर्ती यहाँ दिन रात विचरती पंक्ति की व्याख्या कीजिये

११.   कवि ने उनको क्या उत्तर दिया ?

१२.  रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए

कलह प्रेत की मूर्ती !- अरे ओ मानव भोले, धरती के इस प्रेम तीर्थ में पावन हो ले
तू इसको रुधिराक्ता करों से आया छूने, खण्ड खण्ड कर इसे काटना चाहा तूने

पर अब भी यह वहीँ अखंडित है अमलिन है, चिर नूतन फल फूल लिए शोभित प्रतिदिन है
तुम दो का विष वैर शांति सह पी जाती है, नव नव जीवन सुधा पिला लौटा लाती है

तुझको फिर फिर यहाँ अहा ! तरु तरु त्रण त्रण में, बांधे है यह तुझे प्रेम प्रियता के ऋण में
नहीं भूलता कलह तदापि हाँ तू यह कैसा, क्या रिपु रिपु में मंजु मिलन हो सकता ऐसा ?

मात: वसुधे स्वजन स्वजन का वैर पंक वह, तेरी सुरसरि मध्य हुआ है निष्कलंक यह
तेरी इस युग विटपी तले मैं निर्भय घूमूं, लेकर यह फल-फूल इन्हें पत्तों सा झूमूँ



१.      मनुष्य को कलह प्रेत की मूर्ती कहकर क्यों सबोधित किया जा रहा है?

२.      कलह प्रेत की मूर्ती कहकर कवि हमें क्या समझाना चाहते है?

३.      मनुष्य किसके टुकड़े करना चाहता है और क्यों?

४.      धरती की तुलना पवित्र गनगा से क्यों की गयी है?

५.      क्या रिपु रिपु में मंजु मिलन हो सकता ऐसा पंक्ति की व्याख्या कीजिये

६.      क्या रिपु रिपु में मंजु मिलन हो सकता ऐसा ?

७.      धरती के बारे में कवि के विचार लिखें

८.      कवि मनुष्य को कौन सा मार्ग अपनाने की प्रेरणा दे रहा है?

९.      कवि अंत में क्या कामना करता है

१०.  रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए



१.      इस कविता का मूल भाव लिखिए

२.      इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है?

३.      इस कविता का क्या उद्देश्य है?

४.      आज के समय के अनुसार यह कविता कितनी सार्थक है?

५.      कविता का शीर्षक अन्य क्या हो सकता था और क्यों?

६.       कवि पर किसका प्रभाव अधिक पड़ा हैक्या वह विचारधारा उनकी कविताओं में व्यक्त होती दिखाए देती हैयदि हाँ तो इस कविता के आधार पर अपना उत्तर लिखिए

७.      कवि और कविता का नाम लिखते हुए कविता का सन्देश लिखिए

८.      कवि का संक्षिप्त परिचय लिखिए