Advertisement

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया

Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]


आकलन | Q 1.1 | Page 78

कृति पूर्ण कीजिए :

कनुप्रिया की तन्मयता के गहरे क्षण सिर्फ - ____________

Solution: 

(१) भावावेश थे।

(२) सुकोमल कल्पनाएँ थीं।

(३) रँगे हुए अर्थहीन शब्द थे।

(४) आकर्षक शब्द थे।


Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]


आकलन | Q 1.3 | Page 78

कृति पूर्ण कीजिए :

कनुप्रिया के लिए वे अर्थहीन शब्द जो गली-गली सुनाई देते हैं -____________

Solution:

कर्म, स्वधर्म, निर्णय, दायित्व।


आकलन | Q 2.1 | Page 78

कारण लिखिए :

कनुप्रिया के मन में मोह उत्पन्न हो गया है।

Solution:

कनुप्रिया के मन में मोह उत्पन्न हो गया है - (कनुप्रिया कल्पना करती है कि वह अर्जुन की जगह है।) क्योंकि कनु के द्वारा समझाया जाना उसे बहुत अच्छा लगता है।


Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]


अभिव्यक्त | Q 1 | Page 78

‘व्यक्ति को कर्मप्रधान होना चाहिए’, इस विषय पर अपना मत लिखिए ।

Solution:

संसार में दो तरह के लोग होते हैं। एक कर्म करने वाले लोग और दूसरे भाग्य के भरोसे बैठे रहने वाले लोग। बड़े-बड़े महापुरुष, वैज्ञानिक, उद्योगपति, शिक्षाविद, देश के कर्णधार तथा बड़े-बड़े अधिकारी अपने कार्यों के बल पर ही महान कहलाए। कर्म करने वाले व्यक्ति ही अपने परिश्रम के फल की उम्मीद कर सकते हैं। हाथ पर हाथ रखकर भगवान के भरोसे बैठे रहने वालों का कोई काम पूरा नहीं होता। निष्क्रिय बैठे रहने वाले लोग भूल जाते हैं कि भाग्य भी संचित कर्मों का फल ही होता है। किसान को अपने खेत में काम करने के बाद ही अन्न की प्राप्ति होती है। व्यापारी को बौद्धिक श्रम करने के बाद ही व्यवसाय में लाभ होता है। कहा भी गया है कि कर्म प्रधान विश्व करि राखा। जो जस करे सो तस फल चाखा। इस प्रकार कर्म सफलता की ओर ले जाने वाला मार्ग है।


अभिव्यक्त | Q 2 | Page 78

‘वृक्ष की उपयोगिता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए ।

Solution:

वृक्ष मनुष्यों के पुराने साथी रहे हैं। प्राचीन काल में जब मनुष्य जंगलों में रहा करता था, तब वह अपनी सुरक्षा के लिए पेड़ों पर अपना घर बनाता था। पेड़ों से प्राप्त फल-फूल और जड़ों पर उसका जीवन आधारित था। पेड़ों की छाया धूप और वर्षा से उसकी मदद करती है। पेड़ों की हरियाली मनुष्य का मन प्रसन्न करती है। अब भी मनुष्य जहाँ रहता है, अपने आसपास फलदार और छायादार वृक्ष लगाता है। वृक्ष मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। अनेक औषधीय वृक्षों से मनुष्यों को औषधियाँ मिलती हैं। वृक्ष वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु मिलती है। पेड़ों का सबसे बड़ा फायदा वर्षा कराने में होता है। जहाँ पेड़ों की बहुतायत होती है, वहाँ अच्छी वर्षा होती है। पेड़ों से ही फर्नीचर बनाने वाली तथा इमारती लकड़ियाँ मिलती हैं। इस तरह पेड़ हमारे लिए हर दृष्टि से उपयोगी होते हैं।


Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]


पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न | Q 2 | Page 78

राधा की दृष्टि सेजीवन की सार्थकता बताइए ।

Solution:

राधा के लिए जीवन में प्यार सर्वोपरि है। वह वैरभाव अथवा युद्ध को निरर्थक मानती है। कृष्ण के प्रति राधा का प्यार निश्छल और निर्मल है। राधा ने सहज जीवन जीया है और उसने चरम तन्मयता के क्षणों में डूबकर जीवन की सार्थकता पाई है। अतः वह जीवन की समस्त घटनाओं और व्यक्तियों को केवल प्यार की कसौटी पर ही कसती है। वह तन्मयता के क्षणों में अपने सखा कृष्ण की सभी लीलाओं का अपमान करती है। वह केवल प्यार को सार्थक तथा अन्य सभी बातों को निर्थक मानती है। महाभारत के युद्ध के महानायक कृष्ण को संबोधित करते हुए वह कहती है कि मैं तो तुम्हारी वही बावरी सखी हूँ, तुम्हारी मित्र हूँ। मैंने तुमसे सदा स्नेह ही पाया है और मैं स्नेह की ही भाषा समझती हूँ।

राधा कृष्ण के कर्म, स्वधर्म, निर्णय तथा दायित्व जैसे शब्दों को सुनकर कुछ नहीं समझ पाती। वह राह में रुक कर कृष्ण के अधरों की कल्पना करती है... जिन अधरों से उन्होंने प्रणय के शब्द पहली बार उससे कहे थे। उसे इन शब्दों में केवल अपना ही राधन्... राधे... राधे... नाम सुनाई देता है।

इस प्रकार राधा की दृष्टि से जीवन की सार्थकता प्रेम की पराकाष्ठा में है। उसके लिए इसे त्याग कर किसी अन्य का अवलंबन करना नितांत निरर्थक है।


रसास्वादन | Q 1 | Page 78

‘कनुप्रिया’ काव्य का रसास्वादन कीजिए ।

Solution:

(१) रचना का शीर्षक : कनुप्रिया। (विशेष अध्ययन के लिए)

(२) रचनाकार : डॉ. धर्मवीर भारती।

(३) कविता की केंद्रीय कल्पना : इस कविता में राधा और कृष्ण के तन्मयता के क्षणों के परिप्रेक्ष्य में कृष्ण को महाभारत युद्ध के महानायक के रूप में तौला गया है। राधा कृष्ण के वर्तमान रूप से चकित है। वह उनके नायकत्व रूप से अपरिचित है। उसे तो कृष्ण अपनी तन्मयता के क्षणों में केवल प्रणय की बातें करते दिखाई देते हैं।

(४) रस-अलंकार : - -

(५) प्रतीक विधान : राधा कनु को संबोधित करते हुए कहती है कि मेरे प्रेम को तुमने साध्य न मानकर साधन माना है। इस लीला क्षेत्र से युद्ध क्षेत्र तक की दूरी तटा करने के लिए तुमने मुझे ही सेतु बना दिया। यहाँ लीला क्षेत्र और युद्ध क्षेत्र को जोड़ने के लिए सेतु जैसे प्रतीक का प्रयोग किया गया है।

(६) कल्पना : प्रस्तुत काव्य-रचना में राधा और कृष्ण के प्रेम और महाभारत के युद्ध में कृष्ण की भूमिका को अवचेतन मन वाली राधा के दृष्टिकोण से चित्रित किया गया है।

(६) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : दुख क्यों करती है पगली, क्या हुआ जो/कनु के वर्तमान अपने/तेरे उन तन्मय क्षणों की कथा से अनभिज्ञ हैं उदास क्यों होती है नासमझ/कि इस भीड़भाड़ में| तू और तेरा प्यार नितांत अपरिवर्तित/छूट गए हैं।

गर्व कर बावरी/कौन है जिसके महान प्रिय की/अठारह अक्षौहिणी सेनाएँ हों?

इन पंक्तियों में राधा को अवचेतन मन वाली राधा सांत्वना देती है।

(८) कविता पसंद आने का कारण : कवि ने इन पंक्तियों में राधा के अवचेतन मन में बैठी राधा के द्वारा चेतनावस्था में स्थित राधा को यह सांत्वना दिलाई है कि यदि कृष्ण युद्ध की हड़बड़ाहट में तुमसे और तुम्हारे प्यार से अपरिचित होकर तुमसे दूर चले गए हैं तो तुम्हें उदास नहीं होना चाहिए।

तुम्हें तो इस बात पर गर्व होना चाहिए। क्योंकि किसके महान प्रेमी के पास अठारह अक्षौहिणी सेनाएँ हैं। केवल तुम्हारे प्रेमी के पास ही न। 


Balbharati Solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board Chapterwise List.

The answers for the Balbharati books are the best study material for students. These Balbharati Solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board will help students understand the concepts better.

Chapter 1: नवनिर्माण

Chapter 2: निराला भाई

Chapter 3: सच हम नहीं; सच तुम नहीं

Chapter 4: आदर्श बदला

Chapter 5.1: गुरुबानी

Chapter 5.2: वृंद के दोहे

Chapter 6: पाप के चार हथि यार

Chapter 7: पेड़ होने का अर्थ

Chapter 8: सुनो किशोरी

Chapter 9: चुनिंदा शेर

Chapter 10: ओजोन विघटन का संकट

Chapter 11: कोखजाया

Chapter 12: सुनु रे सखिया, कजरी

Chapter 13: कनुप्रिया

Chapter 14: पल्लवन

Chapter 15: फीचर लेखन

Chapter 16: मैं उद्घोषक

Chapter 17: ब्लॉग लेखन

Chapter 18: प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव


 

Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया

Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 (कनुप्रिया) include all questions with solution and detailed explanation. This will clear students' doubts about any question and improve application skills while preparing for board exams. The detailed, step-by-step solutions will help you understand the concepts better and clear your confusions, if any. OMTEXCLASSES.com has the Maharashtra State Board Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board solutions in a manner that help students grasp basic concepts better and faster.

 

Further, we at OMTEXCLASSES.com provide such solutions so that students can prepare for written exams. Balbharati textbook solutions can be a core help for self-study and acts as a perfect self-help guidance for students.

 

Concepts covered in Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 कनुप्रिया are पद्य (Poetry) (12th Standard).


Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition] 

 

Get the free view of chapter 13 कनुप्रिया 12th Board Exam extra questions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board and can use OMTEXCLASSES.com to keep it handy for your exam preparation.


Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]

Chapter 13: कनुप्रिया Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 13 - कनुप्रिया [Latest edition]