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Chapter 2: निराला भाई Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 2 - निराला भाई [Latest edition]

Chapter 2: निराला भाई

Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 2 - निराला भाई [Latest edition]

आकलन | Q 1 | Page 10

लिखिए:

लेखिका के पास रखे तीन सौ रुपये इस प्रकार समाप्त हो गए :

(१) __________________

(२) __________________

(३) __________________

(४) __________________

 
Solution: 


(१) किसी विद्यार्थी का परीक्षा शुल्क देने के लिए ५0 रुपए लिए।

(२) किसी साहित्यिक मित्र को देने के लिए ६0 रुपए लिए।

(३) तांगेवाले की माँ को मनीआर्डर करने के लिए ४0 रुपए लिए।

(४) दिवंगत मित्र की भर्ती जी के विवाह के लिए १00 रुपए लिए। तीसरे दिन जमा पैसे समाप्त।


आकलन | Q 2 | Page 10

लिखिए:

अतिथि की सुविधा हेतु निराला जी ये चीजें ले आए :

(१) __________________

(२) __________________

(३) __________________

(४) __________________


Solution: 


(१) नया घड़ा खरीदकर लाए।

(२) उसमें गंगाजल भर लाए।

(३) धोती।

(४) चादर।


शब्द संपदा | Q 1 | Page 10

निम्न शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :

प्रहरी - ______


Solution: 


प्रहरी = द्वारपाल


शब्द संपदा | Q 2 | Page 10

निम्न शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :

अतिथि - ______

 
Solution: 


अतिथि = मेहमान


शब्द संपदा | Q 3 | Page 10

निम्न शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :

प्रयास - ______


Solution: 


प्रयास = प्रयत्न


शब्द संपदा | Q 4 | Page 10

निम्न शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :

स्मृति - ______

 
Solution: 


स्मृति = याद


अभिव्यक्त | Q 1 | Page 10

‘भाई-बहन का रिश्ता अनूठा होता है’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।

 
Solution: 


एक माता से उत्पन्न भाइयों अथवा भाई-बहनों का रिश्ता निराला होता है। यह रिश्ता अटूट होता है। बचपन में वे साथ-साथ खेलते, बढ़ते और पढ़ते हैं। जीवन में घटने वाली अनेक अच्छी बुरी घटनाओं के साक्षी होते हैं। बड़े होने पर बहन की शादी हो जाने पर उसका नया घर बस जाता है। फिर भी उसका लगाव अपने मायके के परिवार के साथ बना रहता है। जब भी पीहर आने का कोई मौका आता है, वह उसे कभी गँवाना नहीं चाहती। पीहर में आकर उसे जो खुशी मिलती है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। रक्षाबंधन के त्योहार पर वह कहीं भी हो, अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने और उसकी आरती उतारने जरूर पहुँचती है। भाई-बहन का यह मिलन अनूठा होता है। भाई भी इस अवसर पर उसे अपनी क्षमता के अनुसार अच्छे-से-अच्छा उपहार देने से नहीं चूकता। यह उनके अटूट प्यार और अनूठे रिश्ते का ही प्रमाण है।


अभिव्यक्त | Q 2 | Page 10

‘सभी का आदरपात्र बननेके लिए व्यक्ति का सहृदयी और संस्कारशील होना आवश्यक है’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए ।

 
Solution: 


मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपने परिवार और समाज में सबके साथ हिल-मिल कर रहना चाहता है। उसे सबके दुख-सुख में शामिल होना अच्छा लगता है। जीवों पर दया करना और मन में करुणा के भाव उत्पन्न होना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। ऐसे व्यक्ति संस्कारशील कहलाते हैं। ऐसे व्यक्ति का सभी लोग आदर करते हैं और उसे अपना प्यार देते हैं। मगर सब लोग ऐसे नहीं होते। कुछ लोग विभिन्न कारणों से समाज से कटे-कटे रहते हैं और 'अपनी डफली अपना राग' विचार वाले होते हैं। वे अपने घमंड में चूर रहते हैं और किसी अन्य की परवाह नहीं करते। ऐसे लोगों को समाज तो क्या कोई भी पसंद नहीं करता। ऐसे लोगों को समाज में सम्मान नहीं मिलता। इसलिए मनुष्य को सहृदयी और संस्कारशील होना जरूरी है।


पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न | Q 1 | Page 10

निराला जी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।


Solution: 


निराला जी मानवता के पुजारी थे। उनमें मानवीय गुण कूट-कूट कर भरे हुए थे। उन्हें स्वयं से अधिक दूसरों की अधिक चिंता होती थी। खुद निर्धनता में जीवन बिताते रहे, पर दूसरों के आर्थिक दुखों का भार उठाने के लिए सदा तत्पर रहते थे। आतिथ्य करने में उनका जवाब नहीं था। अतिथियों को सदा हाथ पर लिये रहते थे। उनके लिए खुद भोजन बनाने और बर्तन माँजने में उन्हें हर्ष होता था। घर में सामान न होने पर अतिथियों के लिए मित्रों से कुछ चीजें माँग लाने में शर्म नहीं करते थे। उदार इतने थे कि अपने उपयोग की वस्तुएँ भी दूसरों को दे देते थे और खुद कष्ट उठाते थे।


साथी साहित्यकारों के लिए उनके मन में बहुत लगाव था। एक बार कवि सुमित्रानंदन पंत के स्वर्गवास की झूठी खबर सुनकर वे व्यथित हो गए थे और उन्होंने पूरी रात जाग कर बिता दी थी।


निराला जी पुरस्कार में मिले धन का भी अपने लिए उपयोग नहीं करते थे। अपनी अपरिग्रही वृत्ति के कारण उन्हें मधुकरी खाने तक की नौबत भी आई थी। इस बात को वे बड़े निश्छल भाव से बताते थे।

उनका विशाल डील-डौल देखने वालों के हृदय में आतंक पैदा कर देता था, पर उनके मुख की सरल आत्मीयता इसे दूर कर देती थी।

निराला जी से अन्याय सहन नहीं होता था। इसके विरोध में उनका हाथ और उनकी लेखनी दोनों चल जाते थे।


निराला जी आचरण से क्रांतिकारी थे। वे किसी चीज का विरोध करते हुए कठिन चोट करते थे। पर उसमें द्वेष की भावना नहीं होती थी।


निराला जी के प्रशंसक तथा आलोचक दोनों थे। कुछ लोग जहाँ उनकी नम्र उदारता की प्रशंसा करते थे, वहीं कुछ लोग उनके उद्धत व्यवहार की निंदा करते नहीं थकते थे।

निराला जी अपने युग की विशिष्ट प्रतिभा रहे हैं। उनके सामने अनेक प्रतिकूल परिस्थितियाँ आईं पर वे कभी हार नहीं माने।


पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न | Q 2 | Page 10

निराला जी का आतिथ्य भाव स्पष्ट कीजिए।


Solution: 


निराला जी में आतिथ्य सत्कार का पुराना संस्कार था। वे अतिथि को देवता के समान मानते थे। अपने अतिथि की सुविधा में कोई कसर बाकी नहीं रखते थे। वे अतिथि को अपने कक्ष में ठहराते थे। उसके लिए स्वयं भोजन तैयार करते थे। बर्तन भी वे खुद माँजते थे। अतिथि सत्कार के लिए आवश्यक सामान घर में न होता तो वे अपने हित-मित्रों से माँगकर ले आते थे, पर अतिथि सेवा में कोई कमी नहीं रखते थे कई बार तो वे कवयित्री महादेवी वर्मा के यहाँ से भोजन बनाने के लिए लकड़ियाँ तथा घी आदि माँगकर ले आए थे।


निराला जी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनका कक्ष भी सुविधाओं से रहित था, पर अतिथि के लिए उनके दिल में अपार श्रद्धा थी। एक बार प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त निराला जी का आतिथ्य ग्रहण करने आए थे उस समय उन्होंने उनका जो सत्कार किया था वह देखते ही बनता था। निराला जी गुप्त जी के बिछौने का बंडल खुद बगल में दबाकर और दियासलाई की तीली के प्रकाश में तंग सीढ़ियों का मार्ग दिखाते हुए उन्हें अपने कक्ष में ले गए थे। कक्ष प्रकाश और सुख सुविधा से रहित था, पर निराला जी की विशाल आत्मीयता से भरा हुआ था। वे गुप्त जी की सुविधा के लिए नया घड़ा खरीदकर उसमें गंगाजल ले आए। घर में धोती-चादर जो कुछ मिल सका सब तख्त पर बिछा कर गुप्त जी को प्रतिष्ठित किया था। निराला जी का आतिथ्य भाव अपनी किस्म का निराला था।


साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 1 | Page 11

‘निराला’ जी का मूल नाम - __________________


Solution: 


'निराला' जी का मूल नाम - सूर्यकांत त्रिपाठी


साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान | Q 2 | Page 11

हिंदी के कुछ आलोचकों द्‌वारा महादेवी वर्मा को दी गई उपाधि - __________________


Solution: 


हिंदी के कुछ आलोचकों द्वारा महादेवी वर्मा को दी गई उपाधि - आधुनिक मीरा


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Chapter 1: नवनिर्माण

Chapter 2: निराला भाई

Chapter 3: सच हम नहीं; सच तुम नहीं

Chapter 4: आदर्श बदला

Chapter 5.1: गुरुबानी

Chapter 5.2: वृंद के दोहे

Chapter 6: पाप के चार हथि यार

Chapter 7: पेड़ होने का अर्थ

Chapter 8: सुनो किशोरी

Chapter 9: चुनिंदा शेर

Chapter 10: ओजोन विघटन का संकट

Chapter 11: कोखजाया

Chapter 12: सुनु रे सखिया, कजरी

Chapter 13: कनुप्रिया

Chapter 14: पल्लवन

Chapter 15: फीचर लेखन

Chapter 16: मैं उद्घोषक

Chapter 17: ब्लॉग लेखन

Chapter 18: प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव

Chapter 2: निराला भाई



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