Chapter 16: मैं उद्घोषक
Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 16 - मैं उद्घोषक [Latest edition]
पाठ पर आधारित | Q 1 | Page 94
‘सूत्र संचालक केकारण कार्यक्रम मेंचार चाँद लगतेहैं’, इसेस्पष्ट कीजिए ।
Solution:
आज के जमाने में सूत्र संचालन का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। कार्यक्रम छोटा हो या बड़ा, सूत्र संचालक अपनी प्रतिभा से उसमें चार चाँद लगा देता है। वह अपनी भाषा, आवाज में उतार - चढ़ाव, अपनी हाजिरजवाबी, श्रोताओं से चुटीले संवादों, संचालन के बीच-बीच में बरसात लाने के लिए चुटकुलों, रोचक घटनाओं के प्रयोग, मंच पर उपस्थित महानुभावों के प्रति अपने सम्मान सूचक शब्दों के प्रयोग, कार्यक्रमों के अनुसार भाषा-शैली में परिवर्तन करने तथा अपनी गलती पर माफी माँग लेने आदि गुणों के कारण सूत्र संचालन में तो चार चाँद लगा ही देता हैं, उपस्थित जन-समुदाय की प्रशंसा का पात्र भी बन जाता हैं। सूत्र संचालन अपने मिलनसार व्यक्तित्व, अपने विविध विषयों के ज्ञान, कार्यक्रम के सूत्रसंचालन, अपनी अध्ययनशीलता, अपनी प्रभावशाली और मधुर आवाज के संतुलित प्रयोग आदि के बल पर कार्यक्रम में जान डाल देता है। सधे हुए सूत्र संचालक की प्रतिभा का लाभ कार्यक्रमों और उनके आयोजकों को मिलता है।
इस तरह सधे हुए सूत्र संचालक के कारण कार्यक्रम में चार चाँद लग जाते हैं।
पाठ पर आधारित | Q 2 | Page 94
उत्तम मंच संचालक बननेके लिए आवश्यक गुण विस्तार से लिखिए ।
Solution:
मंच संचालन एक कला है। अच्छा मंच संचालक कार्यक्रम में जान डाल देता है। मंच संचालक श्रोता और वक्ता को जोड़ने वाली कड़ी होता है। वही सभा की शुरूआत करता है। उत्तम मंच संचालक बनने के लिए संचालक को अच्छी तैयारी करनी पड़ती है। जिस तरह का कार्यक्रम हो, उसी तरह की तैयारी भी होनी चाहिए। उसी के अनुरूप कार्यक्रम की संहिता लेखन करनी चाहिए। मंच संचालक के लिए प्रोटोकॉल का ज्ञान, प्रभावशाली व्यक्तित्व, हँसमुख, हाजिरजवाबी तथा विविध विषयों का ज्ञान होना चाहिए। इसके अतिरिक्त भाषा पर उसका प्रभुत्व होना आवश्यक है। मंच संचालक को किसी कार्यक्रम में ऐन मौके पर परिवर्तन होने पर संहिता में परिवर्तन कर संचालन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाना पड़ता है। यह क्षमता उसमें होनी चाहिए। अच्छे मंच संचालक को हर प्रकार के साहित्य का अध्ययन करना आवश्यक है। मंच संचालन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कार्यक्रम कोई भी हो, मंच की गरिमा बनी रहनी चाहिए। सबसे पहले मंच संचालन श्रोताओं के सामने आता है। इसलिए उसका परिधान, वेशभूषा आदि सहज और गरिमामय होनी चाहिए। मंच संचालन के अंदर आत्मविश्वास, सतर्कता, सहजता के साथ श्रोताओं का उत्साह बढ़ाने का गुण होना आवश्यक है। इसके अलावा मंच संचालक में समयानुकूल छोटे - छोटे चुटकुलों तथा रोचक घटनाओं से श्रोताओं को बाँधे रखने की शक्ति भी जरूरी है।
पाठ पर आधारित | Q 3 | Page 94
सूत्र संचालन केविविध प्रकारों पर प्रकाश डालिए ।
Solution:
आजकल संगीत संध्या तथा जन्मदिन की पार्टी का भी संचालन जरूरी गया है। सूत्र संचालक, मंच और श्रोताओं के बीच सेतु का कार्य करता है। कार्यक्रमों अथवा समारोहों में निखार लाने का कार्य सूत्र संचालक ही करता है। इसलिए सूत्र संचालक का बहुत महत्त्व होता है। सूत्र संचालन कई प्रकार के होते हैं। इसके मुख्यतः निम्न प्रकार होते हैं। शासकीय कार्यक्रम का सूत्र संचालन, दूरदर्शन हेतु सूत्र संचालन, रेडियो हेतु सूत्र संचालन, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सूत्र संचालन। अलग अलग कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए सूत्र संचालक को अलग-अलग प्रकार की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं।
शासकीय एवं राजनीतिक समारोहों के सूत्र संचालन में प्रोटोकॉल का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। इसके लिए पदों के अनुसार नामों की सूची बनानी पड़ती है। दूरदर्शन तथा रेडियो कार्यक्रमों का सूत्र संचालन करने के पहले उन पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करनी जरूरी है। कार्यक्रम की संहिता लिखकर तैयारी करनी होती हैं। सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सूत्र संचालन का कार्य हल्के-फुल्के ढंग का होता है। इनके लिए अलग संहिता लेखन की तैयारी करनी पड़ती है।
व्यावहारिक प्रयोग | Q 1 | Page 94
अपने कनिष्ठ महाविद्यालय में मनाए जाने वाले ‘हिंदी दिवस समारोह’ का सूत्र संचालन कीजिए ।
Solution:
सूत्रसंचालन : दोस्तो! हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आज महात्मा गांधी स्मारक इंटर कॉलेज, नाशिक में आयोजित इस समारोह में आपका हार्दिक स्वागत है। इस अवसर पर मुझे अपनी भाषा हिंदी से संबंधित कुछ पंक्तियाँ याद आती हैं -
जो थी तुलसी, चंद्र, सूर, भूषण को प्यारी।
थे रहीम, रसखान आदि जिस पर बलिहारी।
छवि ने जिसको लुभा लिया, जिसकी मनहारी।
सचमुच भाषा सकल राष्ट्र की वही हमारी।।
तो दोस्तो! हिंदी दिवस के इस अवसर पर अब बारहवीं कक्षा की छात्राओं द्वारा तैयार किया गया यह सुंदर नृत्य गीत प्रस्तुत है। आपके सामने यह नृत्य गीत प्रस्तुत कर रही हैं ऋचा, ऋधि, मधुरिमा, रोहा और अन्विता!
(कक्षा बारहवीं की लड़कियाँ -
जय माँ भारती जय, जय।
जय माँ भारती जय, जय।।
गीत गाते हुए नृत्य करती हैं।)
(तालियों की गड़गड़ाहट होती है।)
सूत्र संचालन : दोस्तो! तालियों की गड़गड़ाहट ही बता रही है कि यह नृत्य-गीत आप सबको कैसा लगा।
दोस्तो! अब हम आरंभ कर रहे हैं आज का मुख्य समारोह, यानी हिंदी दिवस का रंगारंग कार्यक्रम। मंच पर उपस्थित हैं हमारे कालेज के प्रिंसिपल श्री राजेंद्र पेंडसे जी, आज के प्रमुख अतिथि स्थानीय राणा प्रताप कालेज के हिंदी विभाग के अध्यक्ष श्री लोकनाथ सिन्हाजी तथा कालेज के अन्य अध्यापकगण।
सूत्र संचालन : अब हम महात्मा गांधी स्मारक इंटर कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रभारी श्री श्रीपत मिश्र जी से प्रार्थना करते है कि आप हमारे प्रमुख अतिथि श्री लोकनाथ सिन्हाजी को पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत करें। श्री श्रीपत जी मिश्र...
(श्री पतमिश्रप्रमुख अतिथि का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत करते है।तालियों की गड़गड़ाहट होती है।)
दोस्तो! अब हम अपने महात्मा गांधी स्मारक इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल श्री राजेंद्र पेंडसे जी की ओर से प्रमुख अतिथि श्री लोकनाथ सिन्हा जी से प्रार्थना करते हैं कि वे माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर उन्हें माल्यार्पण करें। श्रीमान लोकनाथ सिन्हा जी!
(लोकनाथ सिन्हाजी माँ सरस्वती के समक्ष रखे दीपदान के दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। वे सरस्वती की मूर्ति को माला पहनाते हैं।तालियों की गड़गड़ाहट होती है।)
सूत्र संचालन : अब कालेज की ग्यारहवीं कक्षा की छात्राएँ सुनीता संघवी और जाह्नवी पांडेय देवी सरस्वती का वंदना गीत प्रस्तुत करेंगी...
(सुनीता और जाह्नवी माँ सरस्वती का वंदना गीत गाती हैं)
या कुन्देन्दु तुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा। या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वंदिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
(सरस्वती वंदना समाप्त होती है।)
(तालियों की गड़गड़ाहट होती है।)
सूत्र संचालन : अब कालेज के प्रिंसिपल श्री राजेंद्र पेंडसे जी हमारे प्रमुख अतिथि श्री आलोक नाथ सिन्हा जी का परिचय देंगे और कालेज की विभिन्न गतिविधियों से आप लोगों को परिचित कराएंगे। श्री राजेंद्र पेंडसे जी...
(श्री राजेंद्र पेंडसे प्रमुख अतिथि को समारोह का अतिथि पदस्वीकार करने के लिए बधाई देते हैंऔर संक्षेप में उनका परिचय देते हैं।)
(वे कालेज की गतिविधियों के बारे में बताते हैं।)
सूत्र संचालक : अब मैं प्रिंसिपल साहब राजेंद्र पेंडसे जी की ओर से प्रमुख अतिथि आलोक नाथ सिन्हा जी से प्रार्थना करूंगा कि वे हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता, हिंदी अंताक्षरी प्रतियोगिता तथा परीक्षाओं में प्रथम तथा द्वितीय स्थान पाने वाले विद्यार्थियों को अपने कर कमलों से पुरस्कार प्रदान करने की कृपा करें।
सूत्र संचालक : हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विजेता जनार्दन शर्मा मंच पर आ जाएँ।
(प्रमुख अतिथि के हाथों जनार्दन शर्मा पुरस्कार लेते हैं। तालियाँ बजती हैं।)
सूत्र संचालक : अब वाद-विवाद प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार पाने वाले जयंत साठे मंच पर आ जाएँ।
(जयंत साठे सूत्र पुरस्कार लेते हैं। तालियाँ बजती हैं।)
सूत्र संचालक : अब हिंदी अंताक्षरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने वाली स्नेहा पाण्डेय मंच पर आकर अपना पुरस्कार ग्रहण करें। स्नेहा पाण्डेय। (स्नेहा पाण्डेय प्रमुख अतिथि से पुरस्कार ग्रहण करती है।तालियाँ बजती हैं।)
सूत्र संचालक : अब में परीक्षाओं में प्रथम तथा द्वितीय स्थान पाने वाले विद्यार्थियों से आग्रह करता हूँ कि वे मंच पर आकर अपने-अपने पुरस्कार ग्रहण करें। मैं पुरस्कार विजेताओं को उनके नाम से बुलाऊँगा। सभी विजेता बारी-बारी से मंच पर आकर अपना अपना पुरस्कार प्राप्त करें।
कक्षा नौवीं : प्रथम पुरस्कार - राकेश शिंदे।
द्वितीय पुरस्कार - स्मिता सिंह।
कक्षा दसवीं : प्रथम पुरस्कार - ओंकार शर्मा।
द्वितीय पुरस्कार - रोहिणी दवे।
कक्षा ग्यारहवीं : प्रथम पुरस्कार - जतिन सेवक।
व्यावहारिक प्रयोग | Q 1 | Page 94
शहर के प्रसिद्ध संगीत महोत्सव का मंच संचालन कीजिए ।
Solution:
मंच संचालन : भाइयो और बहनो! आज हमारे शहर कोल्हापुर में आयोजित प्रसिद्ध संगीत महोत्सव में आप सबका स्वागत है। और स्वागत है इस महत्त्वपूर्ण संगीत महोत्सव में अपने मधुर गीत-संगीत से श्रोताओं को सराबोर करने के लिए पधारे हुए संगीतकारों, गायक-गायिकाओं तथा उपस्थित जन-समुदाय का।
मंच संचालन : ...तो दोस्तो! प्रतीक्षा की घड़ियाँ समाप्त हुईं। अब आपके समक्ष मंच पर विराजमान हैं अपने साज-ओ-सामान के साथ शहर के प्रसिद्ध तबला वादक पंडित राधेश्याम जी। पंडित जी अपने तबला वादन के लिए पूरे जिले में विख्यात हैं। उनका साथ दे रही हैं शास्त्रीय गायिका शारदादेवी जी। पंडित जी के स्वागत में जोरदार तालियाँ...
(गायिका शारदादेवी के स्वरों के साथ पंडित राधेश्याम की उँगलियाँ तबले पर थिरकने लगती हैं।लोग वाह-वाह करते हैं।तालियों की गड़गड़ाहट से सभा गारगूँज उठता है।)
मंच संचालक : वाह भाई वाह! वाह वाह। पंडित जी ने वाकई अपनी वाद्य कला से श्रोताओं का मन मोह लिया। सभागार में गूंजती हुई तालियों का शोर इसका सबूत है।
मंच संचालन : दोस्तों! अब आप सुनेंगे अपनी चहेती लोकगीत गायिका राधा वर्मा को। वे आपको सावन माह की वर्षा की फुहारों के बीच गाए जाने वाले मधुर गीत कजरी के रस से सराबोर करेंगी। उनके साथ हारमोनियम पर हैं रामनाथ शर्मा जी और ढोलक पर हैं पंडित राधारमण त्रिपाठी जी।
(राधा वर्माजी अपने कजरी गीत से समां बाँध देती हैं और लोग तालियाँ बजा कर 'वन्समोर... वन्समोर...' कहकर शोर मचाते हैं।)
मंच संचालक : दोस्तो! शांत रहिए... शांत! राधा जी आपके आग्रह का मान जरूर रखेंगी। राधा जी प्लीज! प्लीज!
राधा वर्मा दूसरी बार कजरी गाना शुरू करती हैं।अब श्रोता भी उनके स्वर से स्वर मिलाकर गाना शुरू कर देते हैं।)
मंच संचालक : वाह! वाह! दोस्तो, कजरी गीत है ही ऐसा। समूह में गाने पर इसका आनंद और ज्यादा, और ज्यादा बढ़ने लगता है। वाह भाई वाह!
मंच संचालक : अब मंच पर आपके समक्ष है प्रसिद्ध भजन गायक सुमित संत जी। संत जी की गायकी से तो आप सब परिचित ही हैं। अपने भजनों से संत जी आपको भक्ति रस से सराबोर कर देंगे। सुमित जी के साथ तबले पर हैं कामता प्रसाद जी। हारमोनियम पर हैं रामदास और सारंगी वादन कर रहे हैं प्रभु नारायण जी।
(सुमित संत पायो जी मैं ने राम रतन धन पायो' तथा 'मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई' जैसे भजनों से श्रोताओं को भक्तिरस से सराबोर कर देते हैं। तालियों और वाह! वाह के स्वर गूँजते हैं।)
मंच संचालक : वाह भाई! मेरे तो गिरधर गोपाल... (गुनगुनाते हैं) वाह! भक्ति रस का जवाब नहीं। आत्मा-परमात्मा का मिलन कराने वाला रस है भक्ति रस। वाह! वाह! वाह!
मंच संचालक : दोस्तो! अब आपको हम गजल गायकी की दुनिया में ले चलते हैं। मंच पर आपके सामने हैं प्रसिद्ध गजल गायक राजेंद्र शर्मा जी। गजल संभ्रांत श्रोताओं का गीत है। गजल के कई गायकों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। श्री राजेंद्र शर्मा जी...
(राजेंद्र शर्मा की गायकी पर श्रोता झूमते हैं। एक-एक शब्द पर दाद देते हैं। वाह-वाह के शब्द सुनाई देते हैं।राजेंद्र शर्मा अपना गायन समाप्त करते हैं। तालियों की गड़गड़ाहट होती हैं।)
मंच संचालन : दोस्तो! अब आप के समक्ष सितारवादक रमाशंकर जी तंत्रवाद्य सितार की मधुर ध्वनि से आपका मनोरंजन करने आ रहे है। सितारवादक रविशंकर का नाम तो आपने सुना ही होगा। अब सुनिए रमाशंकर जी को।
(सितार वादक रमाशंकर अपने सितार पर मधुर ध्वनि से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। तालियों की गडगडाहट होती है।)
मंच संचालक : दोस्तो! मृदंग के मधुर स्वर से तो आप परिचित ही होंगे। मृदंग मंदिरों में बजाया जाने वाला वाद्य हैं। इसके अलावा गाँवों में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना में मृदंग वाद्य का प्रयोग होता है। तो सुनिए अब मृदंग के मधुर स्वर पंडित कमलाकांत शर्मा जी से।
(पंडित कमलाकांत अपने मृदंग पर ऐसी थपकियाँ देते हैं कि श्रोता वाह-वाह करने लगते हैं।)
मंच संचालक : दोस्तो! अब हम एक ऐसे वाद्य और उसे बजाने वाले व्यक्ति से आपका परिचय कराते हैं, जो वाद्य पुराने जमाने में लड़ाई के समय सैनिकों में उत्साह पैदा करने के लिए बजाया जाता था। लेकिन आजकल इसका प्रयोग गाँवों में नौटंकियों में किया जाता है। इसका नाम है नगाड़ा। आज इसे मंच पर बजा हैं पंडित श्याम नारायण जी। श्याम नारायण जी का पेशा ही है नौटंकियों में नगाड़ा बजाना। तो श्याम नारायण जी... कड़कड़... कड़कड़... धम्म!
(श्याम नारायणजी नौटंकी की तर्जपर नगाड़ा बजाते हैं।श्रोता मस्ती से सिर हिलाते हैं।कुछ दर्शक अपने स्थान पर खड़े होकर नगाड़े की तर्ज पर अभिनय भी करने लगते हैं।श्याम नारायणजी नगाड़ा वादन बंद करते हैं। तालियों की गड़गड़ाहट होती हैं।)
मंच संचालन : दोस्तो! अब मैं आपके सामने आपका परिचय वाद्य यानी बाँसुरी बजाने वाले कलाकार को मंच पर अपने बाँसुरी वादन से आपका मनोरंजन करने के लिए बुलाता हूँ। दोस्तो! बाँसुरी की धून बहुत कर्णप्रिय होती है। भगवान श्री कृष्ण की बाँसुरी सुनकर गायें तक उनके पास दौड़ी चली आती थीं। तो शीतल यादव जी मंच पर अपनी बाँसुरी के साथ आपके सामने हैं।
(शीत लयादव बाँसुरी बजाते हैं।उनकी बांसुरी की धुन से पंडाल गूंजने लगता है। तालियाँ बजती हैं।)
मंच संचालक : दोस्तो! संगीत महोत्सव का कार्यक्रम हो और उसमें फिल्मी गीत-संगीत का समावेश न हो, ऐसा कैसे हो सकता है। दोस्तो! हम आज आपको फिल्मी गीतों के करावके संगीत की महफिल में ले चलते हैं। तो फिर देर किस बात की।...
(मंच पर करावके संगीत बजता है।इसमें सन १९६० से लेकर सन १९८० तक के मधुर गीतों के मुखड़ों संगीत बजते हैं और गायक मधुर स्वर में इन गीतों को गाते हैं।)
मंच संचालक : दोस्तो! आपको पॉप संगीत का मजा दिलाए बिना भला हम कैसे जाने देंगे। ऐसी कल्पना भी मत कीजिए। तो हो जाए धम... धमा... धम...।
(मंच पर दिलदहला देने वाला पॉप संगीत बजता है।लोग इस संगीत के साथ नाचने लगते हैं।)
मंच संचालक : अरे भाई, हम तो भूल ही गए। हमारे बीच एक बहुत ही उदीयमान कलाकार कब से अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ये हैं बैंजो वादक मास्टर देवेश पांडेय जी। तो पांडेय जी, शुरू हो जाइए।
(देवांश पांडेजी अपने बैंजो वादक से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। चारों ओर से वाह-वाह का शोर होता हैं।)
मंच संचालक : अरे भाई, हमें पता है कि आप हमारे चहेते कलाकार पुत्तूचेरी पिल्लई को सुने बिना नहीं जाने वाले हैं। भाइयो! आखिर में आपके सामने श्रीमान पिल्लई साहब ही आ रहे हैं। आप तो जानते ही हैं कि वे -
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Chapter 3: सच हम नहीं; सच तुम नहीं
Chapter 10: ओजोन विघटन का संकट
Chapter 12: सुनु रे सखिया, कजरी
Chapter 18: प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव