Chapter 17: ब्लॉग लेखन
Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 17 - ब्लॉग लेखन [Latest edition]
पाठ पर आधारित | Q 1 | Page 99
ब्लॉग लेखन सेतात्पर्य ।
Solution:
ब्लॉग अपना विचार, अपना मत व्यक्त करने का एक डिजिटल माध्यम है। ब्लॉग के माध्यम से हम जो कुछ कहना चाहते हैं, उसके लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। ब्लॉग लेखन में शब्द संख्या का बंधन नहीं होता। हम अपनी बात को जितना विस्तार देना चाहें, दे सकते हैं। डिजिटल माध्यम हैं। ब्लॉग, वेबसाइट, पोर्टल आदि अखबार, पत्रिका या पुस्तक हाथ में लेकर पढ़ने के स्थान पर उसे कंप्यूटर, टैब या सेलफोन पर पढ़ना डिजिटल माध्यम कहलाता है। इसके कारण लेखक और पत्रकार भी ग्लोबल हो गए हैं। इस माध्यम के द्वारा पूरी दुनिया की कोई भी जानकारी क्षण भर में ही परदे पर उपलब्ध हो जाती है। नवीन वाचकों की संख्या मुद्रित माध्यम के वाचकों से बहुत अधिक है। इस वर्ग में युवा वर्ग अधिक संख्या में हैं। जस्टीन हॉल ने सन 1994 में सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग किया। जॉन बर्गर ने इसके लिए वेब्लॉग शब्द का प्रयोग किया था। माना जाता है कि 1999 में पीटर मेरहोल्स ब्लॉग शब्द को प्रस्थापित कर उसे व्यवहार में लाए। भारत में 2002 के बाद ब्लॉग लेखन आरंभ हुआ और देखते-देखते यह माध्यम लोकप्रिय हो गया। साथ ही इसे अभिव्यक्ति के नए माध्यम के रूप में मान्यता भी प्राप्त हुई।
पाठ पर आधारित | Q 2 | Page 99
ब्लॉग प्रारंभ करने की प्रक्रिया ।
Solution:
यह एक टेक्निकल अर्थात तकनीकी प्रक्रिया है। इसके लिए डोमेन अर्थात ब्लॉग के शीर्षक को रजिस्टर्ड कराना होता है। इसके बाद उसे किसी सर्वर से जोड़ना पड़ता है। उसमें अपनी विषय सामग्री समाविष्ट करके हम इस माध्यम का प्रयोग कर सकते हैं। भारत में २००२ के बाद ब्लॉग लेखन आरंभ हुआ और देखते देखते यह माध्यम लोकप्रिय हो गया। साथ ही इसे अभिव्यक्ति के नए माध्यम के रूप में मान्यता भी प्राप्त हुई। विज्ञापन, फेसबुक, वॉट्सऐप, एस एम एस आदि द्वारा इसका प्रचार होता है। आकर्षक चित्रों, छायाचित्रों के साथ विषय सामग्री यदि रोचक हो तो पाठक ब्लॉग की प्रतीक्षा करता है और उसका नियमित पाठक बन जाता है। ब्लॉग लेखक के पास लोगों से संवाद स्थापित करने के लिए बहुत-से विषय होने चाहिए। विपुल पठन, चिंतन तथा भाषा का समुचित ज्ञान होना आवश्यक है। भाषा सहज और प्रवाहमयी हो तो पाठक उसे पढ़ना चाहेगा। साथ ही लेखक के पास विषय से संबंधित संदर्भ, घटनाएँ और यादें हों तो ब्लॉग पठनीय होगा। जिस क्षेत्र या जिस विख्यात व्यक्ति के संदर्भ में आप लिख रहे हैं, उस व्यक्ति से आपका संबंध कैसे बना? किसी विशेष भेंट के दौरान उस व्यक्ति ने आपको कैसे प्रभावित किया? यदि वह व्यक्ति आपके निकटस्थ परिचितों में है तो उसकी सहदयता, मानवता आदि से संबंधित कौन-सा पहलू आपकी स्मृति में रहा। ऐसे अनेक विषय शब्दांकित किए जा सकते हैं।
पाठ पर आधारित | Q 3 | Page 99
ब्लॉग लेखन में बरतनी जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डालिए ।
Solution:
(१) ब्लॉग लेखन के विषय का चुनाव करते समय सूझ बूझ का होना आवश्यक है।
(२) ब्लॉग लेखन में इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि उसमें मानक भाषा का प्रयोग हो। व्याकरणिक अशुद्धियाँ न हों।
(३) ब्लॉग लेखन के लिए प्राप्त स्वतंत्रता का उचित उपयोग करना चाहिए। लेखन की स्वतंत्रता से हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हम कुछ भी लिख सकते हैं।
(४) ब्लॉग लेखन में सामाजिक स्वास्थ्य का विचार हो। वह समाज विघातक न हो। ब्लॉग लेखक को किसी की निंदा करना, किसी पर गलत टिप्पणी करना, समाज में तनाव की स्थिति उत्पन्न करना आदि बातों से दूर रहना चाहिए।
(५) ब्लॉग लेखन में आक्रामकता से अर्थात गाली-गलौज अथवा अश्लील शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। कोई भी पाठक ऐसी भाषा को पसंद नहीं करता।
(६) बिना सबूत के किसी पर आरोप लगाना गंभीर अपराध है।
(७) पाठक ऐसे लेखकों की बात गंभीरता से नहीं पढ़ते। परिणाम स्वरूप ब्लॉग की आयु अल्प हो जाती है।
(८) ब्लॉग लेखन में सामाजिक संकेतों का पालन आवश्यक है।
(९) ब्लॉग लेखन करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो पाठक ही हमारे ब्लॉग के प्रचारक बन जाते हैं।
व्यावहारिक प्रयोग | Q 1 | Page 99
अपने शहर की विशेषताओं पर ब्लॉग लेखन कीजिए ।
Solution:
मैं महाराष्ट्र के नासिक जिले में रहता हूँ। यह महाराष्ट्र का एक छोटा शहर है। यह नाशिक-पुणे राजमार्ग पर स्थित है। यह एक सुंदर व आदर्श शहर है। यहाँ की इमारतें भव्य और दर्शनीय हैं।
शहर की जनसंख्या : यह एक घना बसा हुआ नगर है। इसमें लगभग एक लाख लोग रहते हैं। यह मुख्य रूप से हिंदू बहुल नगर है। हिंदुओं के अतिरिक्त इसमें मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि अन्य धर्मों के लोग भी रहते हैं। हमारे नगर के लोग बहुत अच्छे हैं। वे सदैव एक-दूसरे की मदद करने को तत्पर रहते है। यहाँ के लोगों में बहुत एकता है। सभी लोग बहुत ईमानदार और परिश्रमी हैं।
शहर का मुख्य व्यवसाय : यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय व्यापार है। यहाँ एक बड़ी शुगर मिल है। कुछ अन्य फैक्टरियाँ भी हैं, जो बोगियों के लिए धुरे और पहिये बनाती हैं। यहाँ तीन मंडियाँ हैं, जहाँ माल के क्रय-विक्रय के लिए आस-पास से बहुत-से लोग आते हैं।
विद्यालय, कॉलेज व चिकित्सालय : हमारा शहर शिक्षा का एक केंद्र है। यहाँ दो स्नातकोत्तर विद्यालय और चार उच्च माध्यमिक कॉलेज हैं। हमारे जिले का एकमात्र राजकीय गर्ल्स उच्च माध्यमिक कॉलेज हमारे शहर में ही है। आस-पास के गाँवों से बहुत-से लड़के लड़कियाँ यहाँ शिक्षा प्राप्त करने आते हैं। हमारे शहर में अनेक चिकित्सालय हैं और सरकारी डिस्पेंसरी भी है।
अन्य आकर्षण : मेरे शहर के निकट शरद पूर्णिमा को नदी के किनारे प्रत्येक वर्ष मेला लगता है। नदी के निकट एक बहुत विशाल परिसर में शिव, दुर्गा, राम, कृष्ण तथा हनुमान जी के मंदिर हैं। इस मेले में बहुत भीड़ होती है। आस-पास के गाँवों के सैंकड़ों दुकानदार कई दिन पहले से ही मेले में अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। लोग दूर-दूर से इस मेले को देखने आते हैं। लोगों की इतनी भीड़ होती है कि तिल रखने की जगह नहीं होती।
मुझे अपने शहर से बहुत प्यार है। मैं अपना संपूर्ण जीवन इसी शहर में व्यतीत करना चाहता हूँ। मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य शहर में मैं इतनी सुख और शांति से जीवन बिता सकूँगा।
व्यावहारिक प्रयोग | Q 2 | Page 99
ग्रामीण समस्याओं पर ब्लॉग लेखन कीजिए ।
Solution:
भारत की ७० प्रतिशत आबादी आज भी गाँवों में रहती है। अतः ग्रामीण क्षेत्रों की हालत ही हमारे देश का वास्तविक प्रतिबिम्ब है। भारतवर्ष उस गति से तरक्की नहीं कर पा रहा, जिस गति से उसे करनी चाहिए।
भारत के गाँवों में विभिन्न समस्याएं :
गरीबी : १३० करोड़ लोगों के देश में लगभग ४० करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं। और यह आबादी अधिकांश रूप से गाँवों में ही हैं। छोटे किसान हमेशा कर्ज से लदे रहते हैं। वे बड़े किसानों पर निर्भर रहते है। अंततः बड़ जमींदार छोटे किसानों की जमीनें हड़प लेते हैं। आबादी में वृद्धि के कारण जमीनों का बँटवारा होता जा रहा है। अतः जमीन-जायदाद के टुकड़े हो जाते हैं। छोटे टुकड़े फलदायी नहीं रहते और उनके मालिक कृषि करके घाटा उठाते हैं। जिसके कारण हालात दिनोंदिन बदतर होते जा रहे हैं।
बेरोजगारी : ग्रामीण इलाकों में रोजगार का अभाव होने से युवाओं को चिंता में देखा जा सकता है। खेतों में अन्न और सब्जियाँ उगाने का एक निश्चित चक्र है। बीज बोकर, सिंचाई करके फसलों को उगने के लिए छोड़ दिया जाता है। ऐसे समय पर न तो किसान के पास कोई काम होता है, न ही वह अपनी फसलों को छोड़कर कहीं और काम करने जा सकता है। अत: आंशिक बेरोजगारी कृषक जीवन का अभिन्न अंग बन गई है।
सूखा और बाढ़ : जो लोग गाँवों में रहकर खून पसीना एक करते हैं, उन पर प्राकृतिक आपदाएँ कहर ढाया करती हैं। बाढ़, सूखा, तूफानी हवाएँ ऐसी अनेक परेशानियाँ हैं, जिन पर मनुष्य का कोई वश नहीं है। कभी सूखे के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं। ग्रामीण भारत में इन समस्याओं के कारण परेशानी बढ़ रही हैं। शिक्षा का अभाव : गाँवों में शिक्षा का नितांत अभाव है। गाँव के लोग आज भी शिक्षा को जरूरी नहीं समझते। स्त्री-पुरुष सभी सुरक्षित रह जाते हैं।
परिणामस्वरूप वे गरीबी के कुचक्र को नहीं तोड़ पाते, क्योंकि वे शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ने के सभी अवसर खो देते हैं। अपने बच्चों को भी समुचित शिक्षा नहीं दिला पाते। शिक्षा के अभाव में ग्रामीण लोग मानसिक रूप से विकसित नहीं हो पाते।
स्वास्थ्य सुविधाएँ : ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की भी कमी है। कोई भी डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में नहीं रहना चाहता। प्राइमरी हेल्थ सेंटर में दी जाने वाली दवाइयाँ और डॉक्टरी परामर्श आज भी मध्ययुग जैसी हैं। ग्रामीण अपनी चिकित्सा पर अधिक खर्च नहीं कर सकते। यही कारण है कि गाँवों में झोलाछाप डॉक्टरों और दाइयों का धंधा खूब पनपता है।
Balbharati Solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board Chapterwise List.
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Chapter 3: सच हम नहीं; सच तुम नहीं
Chapter 10: ओजोन विघटन का संकट
Chapter 12: सुनु रे सखिया, कजरी
Chapter 18: प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव
Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 12th Standard HSC Maharashtra State Board chapter 17 - ब्लॉग लेखन
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