Chapter 1: भारत महिमा
निम्नलिखित पंक्तियों का तात्पर्य लिखिए :
कहीं से हम आए थे नही - ______.
SOLUTION
कहीं से हम आए थे नही - हम भारतवासी किसी अन्य देश से आकर यहाँ नहीं बसे। हम यहीं के निवासी हैं। सभ्यता के प्रारंभ से हम यहीं रहते आए हैं।
वही हम दिव्य आर्य संतान - ______.
SOLUTION
वही हम दिव्य आर्य संतान - भारतवासी आर्य थे और हम उन्हीं आर्यों की दिव्य संतानें हैं।
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
संचय
सत्य
अतिथि
रत्न
वचन
दान
हृदय
तेज
देव
SOLUTION
लिखिए :
कविता मे प्रयुक्त दो धातुओं के नाम :
SOLUTION
कविता मे प्रयुक्त दो धातुओं के नाम :
लोहा
स्वर्ग.
भारतीय संस्कृति की दो विशेषताएँ :
SOLUTION
भारतीय संस्कृति की दो विशेषताएँ :
दानशीलता
अतिथि सत्कार.
प्रस्तुत कविता की अपनी पसंदीदा किन्हीं दो पंक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
SOLUTION
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम। भारतीयों ने शस्त्रों के बल पर दूसरे देशों को नहीं जीता, बल्कि उन्होंने प्रेमभाव से लोगों के हृदय जीते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही लोगों के मन में धर्म की भावना रही है। यहाँ वर्धमान महावीर और गौतम बुद्ध जैसे त्यागी धर्मपुरुष हुए हैं, जिन्होंने अपना विशाल साम्राज्य छोड़कर भिक्षु का स्वरूप धारण किया और घर-घर घूमकर लोगों का कष्ट दूर करने का प्रयास किया, धर्म का प्रचार किया।
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :
रचनाकार का नाम
SOLUTION
रचनाकार का नाम - जयशंकर प्रसाद।
रचना का प्रकार
SOLUTION
रचना का प्रकार: कविता।
पसंदीदा पंक्ति
SOLUTION
पसंदीदा पंक्ति - व्योमतम पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक।
पसंदीदा होने का कारण
SOLUTION
पसंदीदा होने का कारण - हम भारतीयों ने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया, जिसके कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।
रचना से प्राप्त संदेश
SOLUTION
रचना से प्राप्त संदेश - हमें सदैव अपने देश और इसकी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। जब भी आवश्यकता पड़े, देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
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Balbharati Solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]
• Chapter 1.03: वाह रे ! हमदर्द
• Chapter 1.05: गोवा : जैसा मैंने देखा
• Chapter 1.07: खुला आकाश (पूरक पठन)
• Chapter 2.02: दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)
• Chapter 2.05: ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
• Chapter 2.06: हम इस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
• Chapter 2.08: अपनी गंध नहीं बेचूँगा
• Chapter 2.09: जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ