Chapter 1: गिरिधर नागर
संजाल पूर्ण कीजिए :
SOLUTION
होली के समय आनंद निर्मित करने वाले घटक:
करताल
पाखावज
प्रेम-पिचकारी
केसर
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए :
SOLUTION
इस अर्थ में आए शब्द लिखिए :
SOLUTION
SOLUTION
गिरधर
गोपाल
दूसरे पद का सरल अर्थ लिखिए।
हरि बिन कूण गती मेरी ।।
तुम मेरे प्रतिपाल कहिये मैं रावरी चेरी ।।
आदि-अंत निज नाँव तेरो हीमायें फेरी ।
बेर-बेर पुकार कहूँ प्रभु आरति है तेरी ।।
यौ संसार बिकार सागर बीच में घेरी ।
नाव फाटी प्रभु पाल बाँधो बूड़त है बेरी ।।
बिरहणि पिवकी बाट जौवै राखल्यो नेरी ।
दासी मीरा राम रटत है मैं सरण हूँ तेरी ।।
SOLUTION
हे हरि, आपके बिना मेरा कौन है? अर्थात आपके सिवा मेरा कोई ठिकाना नहीं है। आप ही मेरा पालन करने वाले हैं और मैं आपकी दासी है। मैं रात-दिन, हर समय आपका ही नाम जपती रहती हूँ। मैं बार-बार आपको पुकारती हूँ, क्योंकि मुझे आपके दर्शनों की तीव्र लालसा है।
निम्नलिखित शब्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए तथा उचित शीर्षक दीजिए :
अलमारी, गिलहरी, चावल के पापड़, छोटा बच्चा |
SOLUTION
जीव दया एक गाँव में एक छोटा बच्चा रहता था। उसका नाम चिंटू था। एक दिन चिंटू अपने घर के बाहर खेल रहा था। उसने देखा कि सामने एक पेड़ के नीचे दो-तीन कौए किसी चीज पर चोंच मार रहे हैं और वहाँ से हल्की-हल्की चीं-चीं की आवाज आ रही है। चिंटू दौड़कर वहाँ पहुँचा और उसने उन कौओं को वहाँ से उड़ाया। उसने देखा कि एक छोटी-सी गिलहरी वहाँ चीं-चीं कर रही थी। उसका शरीर कौओं की चोंच से घायल हो गया था। चिंटू ने अपनी जेब से रूमाल निकाला और डरे बिना धीरे से गिलहरी को उठा लिया।उसने घर के अंदर लाकर उसे पानी पिलाया, उसके घावों को साफ करके उन पर सोफ्रामाइसिन लगाई और उसे मेज पर बैठा दिया। गिलहरी कुछ देर बाद धीरे-धीरे मेज पर घूमने लगी। मेज पर एक प्लेट में चावल के पापड़ रखे थे। गिलहरी ने एक पापड़ उठाया और अपने अगले दोनों पंजों में पकड़कर धीरे-धीरे उसे खाने लगी। चिंटू को बहुत अच्छा लगा। उसने माँ से पूछा कि जब तक गिलहरी बिलकुल ठीक नहीं हो जाती क्या मैं उसे अपने पास रख सकता हूँ। अभी अगर वह बाहर जाएगी तो कौए उसे अपना आहार बना लेंगे। माँ को चिंटू की ऐसी सोच पर गर्व हुआ और न्होंने खुशी-खुशी उसकी बात मान ली। चिंटू ने अपनी किताबों की खुली आलमारी के एक खाने में एक तौलिया बिछाकर गिलहरी को बैठा दिया। उसके पास चावल के कुछ पापड़ तथा अमरूद के कुछ टुकड़े रख दिए। तीन-चार दिन बाद जब गिलहरी अच्छी तरह दौड़ने लगी तो चिंटू ने उसे बाहर पेड़ पर छोड़ दिया।
सीख : हमें पशु-पक्षियों के प्रति दया-भाव रखना चाहिए।
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए
काम जरा लेकर देखो, सख्त बात से नहीं स्नेह से
अपने अंतर का नेह अरे, तुम उसे जरा देकर देखो ।
कितने भी गहरे रहें गर्त, हर जगह प्यार जा सकता है,
कितना भी भ्रष्ट जमाना हो, हर समय प्यार भा सकता है ।
जो गिरे हुए को उठा सके, इससे प्यारा कुछ जतन नहीं,
दे प्यार उठा पाए न जिसे, इतना गहरा कुछ पतन नहीं ।।
(भवानी प्रसाद मिश्र)
अ) उत्तर लिखिए :
किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त - ______
हर समय अच्छी लगने वाली बात - ______
आ) उत्तर लिखिए :
अच्छा प्रयत्न यही है - ______
यही अधोगति है - ______
इ) पद्यांश की तीसरी और चौथी पंक्ति का संदेश लिखिए ।
SOLUTION
अ)
किसी से काम करवाने के लिए उपयुक्त - स्नेह
हर समय अच्छी लगने वाली बात - प्यार
आ)
अच्छा प्रयत्न यही है - गिरे हुए को उठाना
यही अधोगति है - गिरे हुए को न उठाना
इ)
कवि प्रेम का महत्त्व समझाते हुए कहता है कि भले ही कोई हमसे कितना भी सख्त, दूर या नाराज क्यों न हो, किंतु हम अपने अंतर का स्नेह प्रकट करके; उन्हें सहानुभूति देकर, उनके भीतर भी प्रेम की भावना निर्मित कर सकते हैं। कवि कहता है कि जमाना चाहे जितना भी भ्रष्ट हो जाए, किंतु नि:स्वार्थ, पवित्र व सच्चे प्रेम का अस्तित्व व उसकी लोकप्रियता सदैव बनी रहती है। वह हर समय अच्छा लग सकता है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने यह संदेश देना चाहा है कि हमें हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
कोष्ठक में दिए गए प्रत्येक/कारक चिन्ह से अलग-अलग वाक्य बनाइए और उनके कारक लिखिए :
[ ने, को, से, का, की, के, में, पर, हे, अरे, के लिए ]
SOLUTION
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Balbharati Solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]
• Chapter 1.03: वाह रे ! हमदर्द
• Chapter 1.05: गोवा : जैसा मैंने देखा
• Chapter 1.07: खुला आकाश (पूरक पठन)
• Chapter 2.02: दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)
• Chapter 2.05: ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
• Chapter 2.06: हम इस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
• Chapter 2.08: अपनी गंध नहीं बेचूँगा
• Chapter 2.09: जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ