Chapter 6: हम इस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
वर्गीकरण कीजिए :
पद्यांश में उल्लिखित चरित्र-ध्रुव, प्रह्लाद, भरत, लक्ष्मीबाई, रजिया सुलताना, दुर्गावती, पद्मिनी, सीता, चाँदबीबी, सावित्री, जयमल
SOLUTION
विशेषताओं के आधार पर पहचानिए :
भारत माता के रथ के दो पहिये - ______
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भारत माता के रथ के दो पहिये - लड़के (पुरुष), लड़कियाँ (स्त्रियाँ)।
खूब लड़ने वाली मर्दानी - ______
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खूब लड़ने वाली मर्दानी - लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, रजिया सुलताना।
अपनी लगन का सच्चा - ______
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अपनी लगन का सच्चा - प्रहलाद।
किसी को कुछ न गिनने वाले - ______
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किसी को कुछ न गिनने वाले - जयमल-पत्ता।
सही/गलत पहचानकर गलत वाक्य को सही करके वाक्य पुनः लिखिए :
रानी कर्मवती ने अकबर को राखी भेजी थी।
SOLUTION
रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी।
भरत शेर के दाँत गिनते थे।
SOLUTION
भरत शेरों की दतुली गिनते थे।
झगड़ने से सब कुछ प्राप्त होता है।
SOLUTION
झगड़ने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
ध्रुव आकाश में खेले थे।
SOLUTION
ध्रुव मिट्टी में खेले थे।
कविता से प्राप्त संदेश लिखिए।
SOLUTION
प्रस्तुत कविता कव्वाली के स्वरूप में है। इसमें लड़के जहाँ महापुरुषों और प्रसिद्ध शूरवीरों का हवाला देते हुए अपने आप को लड़कियों से श्रेष्ठ बताने की कोशिश करते हैं, वहीं लड़कियाँ भी सीता, सावित्री, लक्ष्मीबाई तथा युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाली शूरवीर रानियों को अपनी जमात से जोड़ते हुए लड़कों से अपने आप को कम नहीं बतातीं। पर बाद में लड़के कव्वाली के माध्यम से लड़कियों को जवाब देते हैं कि कोई किसी से बढ़कर नहीं है, सभी बराबर हैं। देश के चाहे महान पुरुष हों या महान स्त्रियाँ सभी भारत माँ की संतान हैं। लड़के-लड़कियाँ दोनों भारत माता के रथ के दो पहियों के समान हैं। रथ के लिए इन दोनों पहियों का होना जरूरी है। इस तरह कविता से यह संदेश मिलता है कि कोई बड़ा या कोई छोटा नहीं है, सभी लोग समान हैं। हमें अपने आप पर निरर्थक गर्व नहीं करना चाहिए।
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Balbharati Solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]
• Chapter 1.03: वाह रे ! हमदर्द
• Chapter 1.05: गोवा : जैसा मैंने देखा
• Chapter 1.07: खुला आकाश (पूरक पठन)
• Chapter 2.02: दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)
• Chapter 2.05: ईमानदारी की प्रतिमूर्ति
• Chapter 2.06: हम इस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)
• Chapter 2.08: अपनी गंध नहीं बेचूँगा
• Chapter 2.09: जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
• Chapter 2.1: बूढ़ी काकी (पूरक पठन)