Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ
लिखिए :
मछुवा-मछुवी की दिनचर्या
SOLUTION
1) मछुवा दिनभर मछलियां पकड़ता
2) मछवी दिनभर दूसरा काम करती
3) तब कहीं रात में वे लोग खाने के लिए पाते
4) वे वर्तमान में व्यस्त रहते हैं
मछुवा-मछुवी की कहानी का अंत
SOLUTION
मछुवी ने पति की इच्छा के विरुद्ध एक बार फिर उसे मछली के
पास भेजा इस इच्छा के साथ कि सूर्य, चंद्र, मेघ आदि सभी मेरी
आज्ञा मानें। ऐसा सुनकर मछली रुष्ट हो गई और बोली जा-
जा, अपनी उसी झोपड़ी में रह। मछुवा और मछुवी दोनों फिर
अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने लगे। यही कहानी का अंत हुआ।
लेखक द्वारा बताई गई मनुष्य स्वभाव की विशेषताएँ
SOLUTION
1) वह अपने दोषो को छिपाकर दूसरों पर ही दोषरोपण करता है
2) यह निसंकोच कहता है कि मैंने किसी पर उपकार किया
3) दूसरों के कामों को महत्व न देकर अपने कामों को महत्व
देता है
निम्नलिखित शब्दों के लिए उचित शब्द समूह का चयन कीजिए:
SOLUTION
अभक्ष्य -
OPTIONS
जो खाने के अयोग्य हो
जो खाया नहीं गया
अदृश्य-
OPTIONS
जो दिखाई न दे
जो दिखाई नहीं देता
अजेय-
OPTIONS
जिसे जीता न जा सके
जिसे जीतना कठिन हो
शोषित -
OPTIONS
जिसका शोषण किया गया ह
जो शोषण करता ह
कृशकाय -
OPTIONS
जिसका शरीर कुश (घास) के समान हो
जो बहुत दुबला-पतला हो
सर्वज्ञ -
OPTIONS
जो सब कुछ जानता हो
जो सब जगह व्याप्त है
समदर्शी -
OPTIONS
जो सबको समान दीखता है
जो सबको समान दृष्टि से देखता ह
मितभाषी -
OPTIONS
जो कम बोलता है
जो मीठा बोलता है
अति से तो अमृत भी जहर न जाता है. इस कार पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
SOLUTION
अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप। अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप। अर्थात अधिक बोलना अनेक अवसरों पर अहितकारी हो जाता है। यदि न कहने योग्य कोई बात मुँह से निकल जाए तो व्यर्थ ही झगड़े-फसाद की नौबत आ सकती है। इसी प्रकार अधिक चुप रहना, अन्याय होते देखकर भी विरोध न करना हितकर नहीं है। अधिक वर्षा होगी तो बाढ़ का प्रकोप, भूस्खलन जैसी आपदाएँ आ सकती हैं, परंतु यदि सूर्य का ताप बहुत अधिक होगा तो सूखा पड़ जाएगा। जल-स्रोत सूख जाएँगे और जीव-जंतुओं में त्राहि-त्राहि मच जाएगी। सारांश : अति का सर्वत्र त्याग करना चाहिए। प्रस्तुत परिच्छेद में यही दृष्टिगोचर होता है। मछुवे के कहने पर मछली ने उसे घर दिया। धन-दौलत, महल, राजकीय वैभव सभी कुछ दिया। पर जब मछुवी ने सूर्य, चंद्र, मेघ आदि सभी पर शासन करना चाहा तो मछली ने क्रुद्ध होकर सभी वरदान वापस ले लिए। मछुवे और मछुवी को अपनी पुरानी स्थिति में आना पड़ा। यदि मछुवी इस प्रकार अति लालच न करती तो महल छोड़कर फिर से झोंपड़ी में न रहना पड़ता। सच ही कहा गया है 'अति से तो अमृत भी जहर बन जाता है।'
महत्त्वाकांक्षाओं का कभी अंत नहीं होता', विषय पर अपने
विचार व्यक्त कीजिए।
SOLUTION
महत्त्वाकांक्षाओं का कभी अंत नहीं होता। एक के पूरा होते ही दूसरी जन्म ले लेती है। इच्छा, कामना, लालसा ये सब महत्वाकांक्षा के ही पर्याय हैं। महत्वाकांक्षा मन की ऊँची उड़ान है। कुछ कर गुजरने की तीव्र अभिलाषा है। यह आकाश की तरह अनंत है। महत्वाकांक्षा ही है, जो एक औसत विद्यार्थी को कुशाग्र बनाती है। एक क्लर्क से अफसर, अध्यापक से लेक्चरर बनाती है। महत्वाकांक्षा व्यक्ति को निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। मनुष्य के जीवन को एक दिशा देती है। विकास के लिए, आगे बढ़ने के लिए महत्त्वाकांक्षी होना उचित है। मनुष्य को महत्त्वाकांक्षी तो होना ही चाहिए कि किस प्रकार मैं नित्य आगे बढ़ता रहूँ। महत्वाकांक्षा मनुष्य को अपना लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में अधिकाधिक प्रयास करने को प्रेरित करती है। परंतु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। महत्त्वाकांक्षा उस समय बुरी है जब इसके कारण मनुष्य अधर्म, अनीति के मार्ग पर चलने लगता है। अधर्म के मार्ग पर चलकर किया जाने वाला प्रत्येक कार्य पतन की ओर ले जाता है।
प्रस्तुत निबंध में निहित मानवीय भावों से संबंधित विचार लिखिए।
SOLUTION
प्रस्तुत निबंध में अनेक मानवीय भावों का निरूपण किया गया है। जैसे - संतोष, उपकार, कृतज्ञता, दया आदि। मछुवा और गया है। जैसे संतोष, उपकार, कृतज्ञता, दया आदि। : मूवी अपने अभावग्रस्त जीवन में भी संतुष्ट थे। उनके मन में किसी भी प्रकार की लालसा नहीं थी। वे बड़े संतोषी थे। एक मछली के कहने पर परोपकारी मछली ने उसे पानी के छोटे-से गड्ढे से निकालकर नदी में पहुँचा दिया। मछुवे के मन में तनिक भी स्वार्थ नहीं था। मछुवे की पत्नी के कहने पर मछली ने उन्हें घर, धन-दौलत, महल, राजकीय वैभव सभी कुछ दिया। यह मछुवा दम्पति के प्रति मछली की दया और कृतज्ञता थी।
पाठ के आधार पर कृतघ्नता, असंतोष के संबंध में लेखक की धारणा लिखिए।
SOLUTION
कृतज्ञता एक दैवीय गुण है। जिसने हमें सहायता पहुँचाई हो, उसके प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए, उसका उपकार मानना चाहिए। बहुत-से लोग आवश्यकता के समय तो चिकनी-चुपड़ी बातें करके अपना काम निकाल लेते हैं परंतु काम निकल जाने के बाद मुँह फिरा लेते हैं। यह बहुत बड़ी कृतघ्नता है। कृतघ्न व्यक्ति । कभी सुखी नहीं रह सकता। जो उसकी मदद करते हैं, वह उन्हीं का बुरा सोचता है। यह एक चोरवृत्ति है। ऐसे लोग केवल स्वयं । के प्रति कृतज्ञ होते हैं। मानव का दूसरा बड़ा अवगुण है असंतोष। आज का मनुष्य संतुष्ट होना ही नहीं जानता। एक समय था मनुष्य। की जरूरतें अत्यंत सीमित थीं। जितना मिल जाता था, उसी में वह संतोष कर लेता था। परंतु आज जितना भी मिल जाए, वह कम ही लगता है। और अधिक पाने की चाह हमें प्राप्य वस्तुओं का भी आनंद नहीं लेने देती।
जानकारी दीजिए:
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी के निबंधों की प्रमुख विशेषताएँ
SOLUTION
1) नाटकों जैसी रमणीयता।
2) कहानी जैसी मनोरंजकता और प्रासंगिकता।
अन्य निबंधकारों के नाम
SOLUTION
(1) भारतेंदु हरिश्चंद्र
(2) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(3) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(4) बालकृष्ण भट्ट
(5) आचार्य प्रतापनारायण मिश्र
(6) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
(7) महादेवी वर्मा
(8) कन्हैयालाल मिश्र 'प्र
दी गई शब्द पहेली से प्रसिद्ध रचनाकारों के नाम ढूँढ़कर उनकी सूची तैयार कीजिए
SOLUTION
(1) महादेवी वर्मा
(2) प्रेमचंद
(3) कमलेश्वर
(4) प्रसाद
(5) निराला
(6) नीरज
(7) पंत
(8) रांगेय राघव
(9) सूर्यबाला
(10) मीरा
(11) सूरदास।
.
Hindi - Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions for HSC Maharashtra State Board
• Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट)
• Chapter 4: मेरा भला करने वालों से बचाएँ
• Chapter 5.1: मध्ययुगीन काव्य - भक्ति महिमा
• Chapter 5.2: मध्ययुगीन काव्य - बाल लीला
• Chapter 9: गजलें (दोस्ती, मौजूद)
• Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ
• Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है
• Chapter 13: नुक्कड़ नाटक (मौसम, अनमोल जिंदगी)
• Chapter 14: हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ
• Chapter 15: समाचार : जन से जनहित तक
• Chapter 16: रेडियो जॉकी
• Chapter 17: ई-अध्ययन : नई दृष्टि
.