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Chapter 12 - सहर्ष स्वीकारा है Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 11th Standard HSC Maharashtra State Board

Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है


सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

घटनाक्रम के अनुसार लिखिए -

(१) कवि दंड पाना चाहता है।

(२) विधाता का सहारा पाना चाहता है।

(३) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।


SOLUTION

(1) कवि दंड पाना चाहता है।

(2) दक्षिण ध्रुवी अंधकार – अमावस्या।

(3) ममता के बादल की मँडराती कोमलता भीतर पिराती है।



निम्नलिखित असत्य कथनों को कविता के आधार पर सही करके लिखिए –

जो कुछ निद्रित अपलक है, वह तुम्हारा असंवेदन है।


SOLUTION

जो कुछ भी जागृत है, अपलक है, वह तुम्हारा संवेदन है।


अब यह आत्मा बलवान और सक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को वर्तमान में सताती है।


SOLUTION

अब यह आत्मा कमजोर और अक्षम हो गई है और छटपटात छाती को भवितव्यता डराती है।



जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है, इस पंक्ति से कवि का मंतव्य स्पष्ट कीजिए।


SOLUTION

कवि का जो कुछ है वह उसकी प्रिय को अच्छा लगता है। उसकी जो भी उपलब्धियाँ हैं, वे सब उसकी प्रिय को प्रिय हैं। कवि ने हर सुख-दुख, सफलता-असफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है, क्योंकि प्रिय ने उन सबको अपना माना है। कवि उसका समर्थन महसूस करता है। कवि की प्रिया उसके जीवन से पूरी तरह जुड़ी है।



जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है, जितना भी उँडेलताहूँ, भर-भर फिर आता है,' इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।


SOLUTION

 कवि कहता है कि तुम्हारे साथ न जाने मेरा कौन-सा संबंध है, न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ, उतना वह चारों ओर से सिमटकर चला आता है और मेरे हृदय में भर आता है।



अपनी जिंदगी को सहर्ष स्वीकारना चाहिए' इस कथन परअपने विचार लिखिए।


SOLUTION

हमारे जीवन में अच्छा-बुरा, सफलता-असफलता, सुख- दुख जो भी मिलता है, उसे हमें सहर्ष स्वीकारना चाहिए। मानव जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। उसका अस्तित्व गति से है। अत: हमें निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। सृष्टि में ऐसे अनेक तत्त्व हैं, जिन पर मानव अभी तक विजय प्राप्त नहीं कर पाया है। बार-बार प्रयत्न करने पर भी हम आशा के अनुरूप सफलता नहीं प्राप्त कर पाते। और दुख में डूबकर उस सफलता का भी आनंद नहीं उठा पाते, जो हमें मिली है। हमें जो नहीं मिला, उसका दुख मनाने के स्थान पर जो मिल रहा है, उसे सुखी होना चाहिए। कर्तव्य करना हमारे हाथ है, परिणाम हमारे हाथ में नहीं होता। सुख और दुख दोनों इस जीवन रूपी नदी के दो तटों के समान हैं। नदी की यह गतिशीलता ही उसका जीवन है। जिस दिन नदी चलना, बहना छोड़ देगी, उस दिन उसका अस्तित्त्व समाप्त हो जाएगा। ठीक इसी प्रकार मनुष्य भी जिस दिन कर्म करना छोड़ देगा, उसके दुर्दिन प्रारंभ हो जाएंगे। और की वह घड़ियाँ जब काटे नहीं कटेंगी, तो वह एक-एक पल गिन-गिनकर काटेगा। अगर हम आगे बढ़ने का प्रयास छोड़ देंगे, तो जीवन में जड़ता घर कर जाएगी, जो बड़ी कष्टदायक स्थिति उत्पन्न कर देगी। जीवन का दूसरा नाम ही है रवानगी। क्योंकि चलना ही जीवन है, जो रुक गया, उसकी मृत्यु निश्चित है।



जीवन में अत्यधिक मोह से अलग होने की आवश्यकता है,इस वाक्य में व्यक्त भाव प्रकट कीजिए।


SOLUTION

अति सर्वत्र वर्जयेत। अर्थात किसी भी वस्तु, भाव आदि की अधिकता नहीं होनी चाहिए। यह उक्ति मोह के संदर्भ में भी अनुकरणीय है। किसी भी व्यक्ति अथवा वस्तु से अत्यधिक मोह अर्थात उसे पाने अथवा अपने नियंत्रण में रखने के लिए कुछ भी करने पर उतारू हो जाना दुख का कारण बन जाता है। जिस किसी से भी अत्यधिक मोह हो जाता है, उसे खोने की आशंका दुख का कारण बन जाती है। मोह मनुष्य के जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है। परंतु दुखदायी है इसकी अधिकता। मोह ऐसा विकार है, जिसकी अधिकता मनुष्य के जीवन को संघर्षपूर्ण एवं कष्टकारी बनाती है मोह मनुष्य के जीवन को संघर्षपूर्ण एवं कष्टकारी बनाती है। मोह के वश में होकर मनुष्य विवेक से काम नहीं ले पाता। अपने प्रियजनों से मोह होना स्वाभाविक है। परंतु जो मोह हमारे विकास में बाधक बन रहा हो, वह त्याग के योग्य है। अनेक अवसरों पर देखा जाता है कि कई माता-पिता, दादा-दादी बच्चों के प्रति अत्यधिक मोह के कारण उन्हें आँखों से दूर नहीं करना चाहते। अपने नगर या कस्बे में उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने पर भी वे उन्हें बाहर जाकर अध्ययन के करने की मनाही कर देते हैं। बच्चे अपनी प्रतिभा के अनुसार उन्नति के करने से वंचित रह जाते हैं और यह पीड़ा जीवनपर्यंत उन्हें कष्ट ना पहुँचाया करती है।



नई कविता का भाव तथा भाषाई विशेषताओं के आधार पर रसास्वादन कीजिए।


SOLUTION

 'सहज स्वीकारा है' प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गजानन माधव मुक्तिबोध' की भूरी-भूरी खाक धूल काव्यसंग्रह में संकलित है। गजानन जी की भाषा उत्कृष्ट है। भावों के अनुरूप शब्द गढ़ना और उसका परिष्कार करके उसे भाषा में प्रयोग करना भाषा सौंदर्य की अद्भुत विशेषता है। कविता में भावों के अनुकूल तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है। मुक्तिबोध ने शुद्ध साहित्यिक शब्दों के साथ उर्दू, अरबी और फारसी के शब्दों का भी प्रयोग किया है। जैसे जिंदगी, दिल, लापता, सहारा आदि। काव्य की रचना मुक्तक छंद में की गई है। कविता में लाक्षणिकता और चित्रात्मकता का गण विद्यमान है।

विभिन्न अलंकारों के प्रयोग से कविता सुंदर बन पड़ी है। जैसे

अनुप्रास अलंकार - गरबीली गरीबी, विचार-वैभव, अंधकार-अमावस्या, छटपटाती छाती।

उपमा अलंकार - होता-सा लगता है. होता-सा संभव है।

रूपक अलंकार - विचार-वैभव।

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार - पल-पल, मौलिक है – मौलिक है, भर-भर।

मानवीकरण अलंकार - कोमलता और मानवता का मानवीकरण।

विरोधाभास अलंकार - जितना उड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है, आदि।

'दिल में क्या झरना है' में प्रश्नात्मक शैली का सुंदर प्रयोग है।

नई कविता में समाज में विषमता भोग रहा व्यक्तित्व अपने

आपको सुरक्षित करने के लिए प्रयोगशील दिखाई देता है। इन

कविताओं में जीवन की विसंगतियों, जीवन संघर्ष तथा समाज जीवन

के बदलाव के साथ आई हुई तत्कालीन समस्याओं का यथार्थ चित्रण

इन कविताओं में दिखाई देता है।


जानकारी दीजिए :

मुक्तिबोध जी की कविताओं की विशेषताएँ।


SOLUTION

(1) प्रकृति प्रेम

(2) सौंदर्य


मुक्तिबोध जी का साहित्य।


SOLUTION

(1) चाँद का मुँह टेढ़ा है

(2) भूरी-भूरी खाक धूल प्रतिनिधि कविताएँ (काव्य संग्रह)

(3) सतह से उठता आदमी (कहानी संग्रह)

(4) विपात्र (उपन्यास)

(5) कामायनी - एक पुनर्विचार (आलोचना)।


अलंकार पहचानकर लिखिए :

कूलन में केलिन में, कछारन में, कुंजों में

क्यारियों में, कलि-कलीन में बगरो बसंत है।


SOLUTION

अनुप्रास अलंकार। 'क' वर्ण की आवृत्ति।


के-रख की नूपुर-ध्वनि सुन।

जगती-जगती की मूक प्यास।


SOLUTION

यमक अलंकार। जगती - जागना, जगती - सृष्टि।



निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए :

वक्रोक्ति -


SOLUTION

स्वारथु, सुकृतु न श्रम वृथा, देखि विहंग विचारि।

बाज पराए पानि परि, तू पच्छीनु न मारि।


श्लेष-


SOLUTION

ज्यों रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।

बारे उजियारो करै, बढ़े अंधेरो होय।।


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Hindi - Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions for HSC Maharashtra State Board


 • Chapter 1: प्रेरणा

 • Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट)

 • Chapter 3: पंद्रह अगस्त

 • Chapter 4: मेरा भला करने वालों से बचाएँ

 • Chapter 5.1: मध्ययुगीन काव्य - भक्ति महिमा

 • Chapter 5.2: मध्ययुगीन काव्य - बाल लीला

 • Chapter 6: कलम का सिपाही

 • Chapter 7: स्वागत है !

 • Chapter 8: तत्सत

 • Chapter 9: गजलें (दोस्ती, मौजूद)

 • Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ

 • Chapter 11: भारती का सपूत

 • Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है

 • Chapter 13: नुक्कड़ नाटक (मौसम, अनमोल जिंदगी)

 • Chapter 14: हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

 • Chapter 15: समाचार : जन से जनहित तक

 • Chapter 16: रेडियो जॉकी

 • Chapter 17: ई-अध्ययन : नई दृष्टि


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