Chapter 3: पंद्रह अगस्त
संकल्पना स्पष्ट कीजिए -
नये स्वर्ग का प्रथम चरण
SOLUTION
संकल्पना : स्वर्ग का अर्थ है वह स्थान जहाँ बहुत सुख मिले और किसी प्रकार का कष्ट न हो। हमें अभी-अभी स्वतंत्रता मिली है। कवि इस स्वतंत्रता की स्वर्ग से तुलना करते हुए कहते हैं कि यह स्वतंत्रता का आरंभिक काल है। हमें इस स्वतंत्रता को स्वर्ग के समान बनाना है, जिसमें सुख- समृद्धि और लोगों में भाईचारे की भावना हो। इस पंक्ति से कवि ने इसी ओर संकेत किया है।
विषम श्रृंखलाएँ
SOLUTION
संकल्पना : गुलामी के समय हमारा समाज अमीर-गरीब, ऊँच-नीच तथा जाति-पाँति की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। देश में असमानताएँ व्याप्त थीं। आजादी मिलने के बाद ये बंदिशें टूट गई हैं। कवि ने विषम श्रृंखला शब्द में इस स्थिति की ओर संकेत किया है।
युग बंदिनी हवाएँ
SOLUTION
संकल्पना : गुलामी के समय देशवासियों पर तरह-तरह की बंदिशें थीं। आज की तरह उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी। लोगों को खुलकर बोलने की आजादी नहीं थी। इसलिए उन्हें तरह-तरह के अन्याय सहन करने के बावजूद इसलिए उन्हें तरह-तरह के अन्याय सहन करने बावजूद उनका विरोध करने का साहस नहीं था। गुलामी के समय लोगों को अपने विचार व्यक्त करने पर जो अंकुश था, कवि ने इन शब्दों में उसी की ओर संकेत किया है।
लिखिए -
SOLUTION
शेषिप → समाज की वर्तमान स्थिति → मृतप्राय
आशय लिखिए :
‘‘ऊँची हुई मशाल हमारी......हमारा घर है।’’
SOLUTION
कवि कहते हैं कि हमारे देश को परतंत्रता से मुक्ति मिलने पर देशवासियों का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है। पर वे इसके साथ ही देशवासियों को संबोधित करते हुए यह भी कहते हैं कि हमें आजादी मिल गई, पर आगे का रास्ता, अर्थात हमारा आने वाला समय कठिनाइयों से भरा हुआ है। शत्रु अर्थात हमें गुलाम बनाने वाले अंग्रेज चले गए हैं, पर उनकी छाया के रूप में विद्यमान छद्म शत्रुओं की यहाँ कमी नहीं है। हमें उनका डर है। उनसे हमें सावधान रहने की जरूरत है। हमारा समाज बुरी तरह शोषण का शिकार हो चुका है। उसकी हालत मरणासन्न जैसी है। हमारा देश आर्थिक रूप से बहुत विपन्न हो चुका है।
‘‘युग बंदिनी हवाएँ... टूट रहीं प्रतिमाएँ।’’
SOLUTION
कवि कहते हैं कि हमारी अभिव्यक्ति पर युगों-युगों से बंदिशें लगी हुई थीं। सदियों से हम निर्धारित सीमाओं में बँधे हुए थे। सदियों से देशवासियों की दबी कुचली-महत्त्वाकांक्षाएँ संतुष्ट होने के लिए आतुर हैं। स्वतंत्रता मिलने के पहले हम जिन सीमाओं में बंधे हुए थे, वे सीमाएँ अब हमारे लिए प्रश्नचिह्न बन गई हैं। लोग उन्हें तोड़ देना चाहते हैं। वे कहते हैं कि हमारे समाज में प्रचलित प्राचीन मान्यता अब टूट रही हैं।
‘देश की रक्षा-मेरा कर्तव्य’, इसपर अपना मत स्पष्ट कीजिए ।
SOLUTION
जिस देश में हमारा जन्म होता है, जिस देश का अन्नकी जल खा-पीकर हम बड़े होते हैं, उस देश से प्यार करना और उसकी स्वतंत्रता रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। इसी भावना के कारण हमारे देश थी। के अनेक वीरों और क्रांतिकारियों ने अपने देश के हित और उसकी बावजूद रक्षा के लिए अपने प्राण निछावर कर दिए। समय जो देश हमें सम्मान के साथ जीने और सुख-सुविधा के साथ कवि रहने का अधिकार देता है, उसकी हर तरह से हमें रक्षा करनी चाहिए। हमारे देश में तरह-तरह की समस्याएं हैं। समाज-विरोधी तत्त्व देश में अव्यवस्था फैलाने का काम कर रहे हैं। धर्म के नाम पर जगह-जगह 'दंगा-फसाद' होते हैं। आतंकवाद से सारा देश त्रस्त है। मोर्चा-आंदोलनों में राष्ट्र की संपत्ति बरबाद की जाती है।
भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। इन सबके प्रति हमारा भी कुछ कर्तव्य हैं। जहाँ तक हो सके हमें अपने स्तर पर इन बुराइयों से निपटने की कोशिश करनी चाहिए। लोगों में देश-प्रेम की भावना जगानी चाहिए और लोगों से देशहित के कार्यों में सहयोग देने की अपील करनी चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, स्वच्छता अभियान आदि में सहयोग देने तथा वृक्षारोपण अभियान के द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा का काम करने आदि से भी देश की रक्षा होती है। इन कार्यों में सहयोग देना हर देशवासी का कर्तव्य है।
‘देश के विकास में युवकों का योगदान’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
SOLUTION
किसी भी देश के विकास का दारोमदार उसकी युवा शक्ति पर आधारित होता है। वे देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए शारीरिक अथवा मानसिक श्रम की आवश्यकता होती है। श्रमशक्ति युवाओं के पास प्रचुर मात्रा में होती है। आज हमारे देश में प्रशिक्षित युवकों की बहुतायत है। वे देश ही नहीं विदेश में भी बड़े-बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। किसी भी देश की प्रगति उसके कृषि, उद्योग, सैन्य, परिवहन, शिक्षा, राजनीति, विज्ञान, संचार व्यवस्था तथा अंतरिक्ष अनुसंधान आदि क्षेत्रों में होने वाले विकास पर निर्भर होती है। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में प्रशिक्षित युवकों की सेवाएँ आवश्यक होती हैं। इनमें से हर क्षेत्र में प्रशिक्षित युवक अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दे रहे हैं। अत: किसी भी देश का विकास उस देश के युवकों के बल पर ही संभव हो सकता है। जिस देश की युवा-शक्ति जितनी प्रशिक्षित, संगठित, दलबंदी और द्वेष भावना से मुक्त होगी, वह देश उतना अधिक विकसित होगा।
स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझते हुए प्रस्तुत गीत का रसास्वादन कीजिए।
SOLUTION
प्रसिद्ध कवि गिरिजाकुमार माथुर ने पंद्रह अगस्त' गीत में हमारे देश को आजादी मिलने की खुशी और उसके बाद देश के समक्ष आने वाली समस्याओं का सामाजिक चित्रण किया है। स्वतंत्रता का अर्थ है बिना किसी नियंत्रण या बंधन के देश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वेच्छानुसार काम करने का अधिकार मिलना और सबको ऊँच-नीच, जाति-पाति से रहित समानता का दर्जा प्राप्त होना। प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार खुलकर व्यक्त करने की आजादी मिलना तथा समाज का शोषण मुक्त होना। इसके साथ ही देश के लोगों का कर्तव्य होता है, देश और देश की आजादी की रक्षा करना। कवि देश को आजादी मिलने से खुश हैं, पर इसके साथ ही वे देश के रखवालों और कर्णधारों को सावधान रहने के लिए कहते हैं कि वे देश की आजादी पर आँच न आने दें। क्योंकि शत्रु ने हमें आजादी तो दे दी है, पर 'शत्रु की छाया' अर्थात देश में छिपे हुए शत्रुओं से देश को डर है।
इसी तरह कवि कहना चाहते हैं कि हमें आजादी मिली जकर है, पर यह उसका आरंभिक समय है - 'प्रथम चरण है नए स्वर्ग का' हमें अभी बहुत कुछ करना शेष है क्योंकि अभी नहीं मिट पाई दुख की विगत साँवली (काली) की (छाया)। स्वतंत्रता का अर्थ अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को समझना है। स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं है। अपने अधिकारों और कर्तव्यों की सीमा में रहकर हमें देश के हित को ध्यान में रखकर व्यवहार करना ही स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ है। कविता में कवि ने स्थान-स्थान पर अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया है। अचल दीपक समान रहना' पंक्ति में कवि ने उपमा अलंकार का प्रयोग कर पहरेदारों को दीपक की तरह अचल रहने का आवाहन किया है। इसी तरह 'अभी शेष है पूरी होना जीवन मुक्ता डोर' पंक्ति में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है तथा जन गंगा में ज्वार' पंक्ति में भी रूपक अलंकार का सुंदर प्रयोग किया गया है।
गीत विधा में लिखित इस कविता में परंपरागत भावबोध तथा शिल्प प्रस्तुत किया गया है।
जानकारी दीजिए :
गिरिजाकुमार माथुर जी केकाव्यसंग्रह -
SOLUTION
गिरिजाकुमार माथुर जी के निम्नलिखित है :
(1) मंजीर
(2) नाश और निर्माण
(3) धूप के धान
(4) शिलापंख चमकीले
(5) जो बांध नहीं सका काव्य-संग्रह
(6) साक्षी रहे वर्तमान
(7) मैं वक्त के हूँ सामनेगिरिजाकुमार माथुर जी के निम्नलिखित है :
(1) मंजीर
(2) नाश और निर्माण
(3) धूप के धान
(4) शिलापंख चमकीले
(5) जो बांध नहीं सका काव्य-संग्रह
(6) साक्षी रहे वर्तमान
(7) मैं वक्त के हूँ सामने
‘तार सप्तक’ केदो कवियों के नाम -
SOLUTION
'तार-सप्तक' के दो कवियों के नाम इस प्रकार हैं।
(1) अज्ञेय
(2) भारतभूषण अग्रवाल।
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Hindi - Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions for HSC Maharashtra State Board
• Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट)
• Chapter 4: मेरा भला करने वालों से बचाएँ
• Chapter 5.1: मध्ययुगीन काव्य - भक्ति महिमा
• Chapter 5.2: मध्ययुगीन काव्य - बाल लीला
• Chapter 9: गजलें (दोस्ती, मौजूद)
• Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ
• Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है
• Chapter 13: नुक्कड़ नाटक (मौसम, अनमोल जिंदगी)
• Chapter 14: हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ
• Chapter 15: समाचार : जन से जनहित तक
• Chapter 16: रेडियो जॉकी
• Chapter 17: ई-अध्ययन : नई दृष्टि
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