Chapter 7: स्वागत है !
उत्तर लिखिए :
‘स्वागत है’ काव्य मेंदी गई सलाह। ____________
SOLUTION
मॉरिशस की पावन धरती पर सभी देशवासियों का स्वागत करते हुए कवि कहता है कि हे मेरे हृदय के टुकड़ो, उस पुरानी कथा को भूल जाओ। भूल जाओ कि किस प्रकार आप लोगों को अपने परिजनों से अलग कर दिया गया। इस प्रकार अपनी मातृभूमि से अलग होना ही आपकी किस्मत में था। अब उस पर रोने से कोई लाभ नहीं है। जहाजों द्वारा आप सबको यहाँ लाए जाने की घटना को सोचकर दुखी होने पर भी अब उसे अनहुआ नहीं किया जा सकता। आज युगों के बाद हम सब मिल रहे हैं। देखो, आज सब कैसे साथ-साथ हैं। ऐसा लगता है मानो इस धरती पर एक लघु भारत बन गया हो। और उस अपने छोटे-से भारत के प्रांगण में आज युगों के बाद हम एक ही माता के बालक मिल रहे हों। मॉरिशस तो अब हमारे मायके के समान है। वहीं हमें हमारे परिवार के लोग मिलेंगे। अब हमारे बीच देश-विदेश का भेद नहीं रहेगा। हम सभी एक ही समाज के सदस्य हैं। इस धरती पर जब हम लाए गए, तो यह जंगलों और पत्थरों से भरी थी। हमारे बंधुओं ने अपने अथक प्रयासों से इन पत्थरों में प्राण डाले। उन्होंने पसीने के रूप में अपना लहू बहाया। तब यह भूमि मॉरिशस का सुंदर रूप ले पाई। हे मेरे बंधुओ, इस भूमि पर तुम सभी की स्मृति गहराई तक अंकित है। हमारे पूर्वजों ने इस सुंदर देश का निर्माण किया है। तुम भी आओ और इस भूमि को स्वर्ग में परिवर्तित कर दो।
प्रथम स्वागत करते हुए दिलाया विश्वास ____________
SOLUTION
प्रथम स्वागत करते हुए कवि विश्वास दिलाता है कि हम सब एक ही माता की संतान हैं, जो अनेक देशों में बिखरे हुए हैं। आज कई युगों के बाद मॉरिशस की धरती पर हमारा मिलन हो रहा है। आप सबका प्रेम के साथ स्वागत है।
‘मारीच’ से बना शब्द ____________
SOLUTION
मरिचिका काव्य सौंदर्य
‘‘यह तो तब था, घास ही पत्थर
पत्थर में प्राण हमनेडाले।।’’
उपर्युक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
SOLUTION
इस धरती पर जब हम लाए गए, यह तो जंगलों और
पत्थरों से भरी थी। हमारे बंधुओं ने अपने अथक प्रयासों से इन
पत्थरों में प्राण डाले। तब यह भूमि मॉरिशस का सुंदर रूप ले पाई।
‘स्वागत है’ कविता में ‘डर’ का भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ढूँढ़कर अर्थ लिखिए।
SOLUTION
पनिया-जहाज पर कौन बनेगा अब भैया, बड़ा डर लग रहा है उससे तो कहीं पुनः दोबारा न दे इतिहास हमारा इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ।
अर्थ : पानी के जहाज पर अब कोई देशवासी नहीं चढ़ना चाहेगा। सबको बड़ा डर लग रहा है। कहीं ऐसा न हो कि किस्मत उसी इतिहास को फिर से न दोहराने लगे। ऐसा न हो कि अपने आत्मीयों को खोजते हुए हम अलग-अलग देशों की धरती पर पहुँच जाएँ।
‘विश्वबंधुत्व आज के समय की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए ।
SOLUTION
विश्वबंधुत्व आज के समय की आवश्यकता है। यह अवधारणा भारतीय मनीषियों के सूत्र वसुधैव कुटुंबकम् पर आधारित है। जो शाश्वत तो है ही, व्यापक एवं उदार नैतिक मूल्यों पर आधारित भी है। इसमें किसी प्रकार की संकीर्णता के लिए कोई स्थान नहीं है। सहिष्णुता इसकी अनिवार्य शर्त है। आज वैश्वीकरण का युग है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों और उत्पादों की त्वरित प्राप्ति के लिए परस्पर एक-दूसरे के सहअस्तित्व की भावना को बढ़ावा मिला है। किसी भी देश की छोटी-बड़ी प्रत्येक गतिविधि का प्रभाव आज संसार के सभी देशों पर किसी-न किसी रूप में अवश्य पड़ता है। परिणामस्वरूप सभी देश यह अनुभव करने लगे हैं कि पारस्परिक सहयोग, स्नेह, सद्भावना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाईचारे के बिना अब उनका काम नहीं चलेगा। संसाधनों की बढ़ती माँग और उसकी पूर्ति के प्रयासों ने पारस्परिक दूरियों को समाप्त कर दिया है। फलस्वरूप विश्व बंधुत्व का विशाल दृष्टिकोण वर्तमान स्थितियों का महत्त्वपूर्ण परिचायक बन गया है।
मातृभूमि की महत्ता को अपनेशब्दों मेंव्यक्त कीजिए।
SOLUTION
मातृभूमि अर्थात वह स्थान, जहाँ हमारा जन्म होता है। जिसके अन्न-जल को ग्रहण कर हमारा शरीर पुष्ट होता है, जिसकी गोदी में, पवित्र वायु में साँस लेकर हम जीते हैं। वह हमारी माता के समान होती है। मनुष्य के जीवन में मातृभूमि का बड़ा महत्त्व है। हमारी मातृभूमि हमारे हृदय में स्वाभिमान का भाव जगाती है। दूसरे देशों में हमें कितनी भी सुख-सुविधाएँ क्यों न मिल जाएँ, वे हमारी मातृभूमि कभी नहीं बन सकते। विदेशों में जब हम अपने राष्ट्रध्वज को देखते हैं या राष्ट्रगान सुनते हैं तो एक अलग ही प्रकार की अनुभूति होती है। अपने देश के प्रति जुड़ाव की भावना मन में आ जाती है। अपनी प्यारी मातृभूमि पर हमें सदा सर्वस्व न्योछावर कर देने के लिए तैयार रहना चाहिए। जिस प्रकार मनुष्य प्रेम और त्याग के साथ अपने परिवार का पोषण करता है, उसी प्रकार प्रेम और त्याग के साथ उसे अपने देश की रक्षा करनी चाहिए।
गिरमिटियों की भावना तथा कवि की संवेदना को समझतेहुए कविता का रसास्वादन कीजिए।
SOLUTION
उन्नीसवीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने लाखों भारतीय स्त्री- पुरुषों को जबरदस्ती स्वजनों से दूर अपने उपनिवेशों फीजी, सूरीनाम, पाक, गयाना, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम, यू एस ए, कनाडा, फ्रांस, रेनियन आदि देशों में भेजा। जहाँ उन्हें गुलाम बनाकर बड़ी अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता था। हर प्रकार से उनका शोषण किया जाता था। अनुबंध समाप्त होने के बाद भी पास में पैसा न होने के कारण वे कभी स्वदेश नहीं लौट पाए। परंतु उन्होंने अपनी भारतीय संस्कृति को नहीं छोड़ा। भारतीय तीज-त्योहार, यहाँ के रीति-रिवाज, यहाँ के लोकगीत, लोकनृत्य सभी उन गिरमिटियों के जीवन सदैव हिस्सा रहे। प्रस्तुत कविता में कवि दानीश्वर जी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृति में भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब मॉरिशस माँ के घर के समान है, जहाँ अपने प्रियजनों से उनका मिलन होगा। मॉरिशस अब एक लघु भारत के समान है। कवि इस भारत में सभी का स्वागत कर रहा है। कवि ने प्रवासी भारतीयों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को तो उजागर किया ही है, साथ-साथ उनके मन में स्थित भारतीयों की संवेदनाओं तथा उनकी सृजनात्मक प्रतिभा के दर्शन भी कराए हैं।
जानकारी दीजिए :
प्रवासी साहित्य की विशेषता -
SOLUTION
विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा हिंदी में रचा गया साहित्य प्रवासी भारतीय हिंदी साहित्य कहलाता है। इन रचनाओं ने नीति-मूल्य, मिथक, इतिहास, सभ्यता के माध्यम से भारतीयता को सुरक्षित रखा है। प्रवासी साहित्य ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने के साथ-साथ पाठकों को प्रवास की संस्कृति, संस्कार तथा उस भूभाग के लोगों की स्थिति से भी अवगत कराया है।
अन्य प्रवासी साहित्यकारों के नाम -
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(१) जोगिंदर सिंह कंवल
(२) स्नेहा ठाकूर
(३) बासुदेव विष्णुदयाल
(४) रामदेव धुरंधर
(५) अभिमन्यु अनत
(६) ब्रजेंद्र कुमार भगत मधुकर
(७) सोमदत्त बखोरी
(८) बेनीमाधो रामखेलावन
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Hindi - Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions for HSC Maharashtra State Board
• Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट)
• Chapter 4: मेरा भला करने वालों से बचाएँ
• Chapter 5.1: मध्ययुगीन काव्य - भक्ति महिमा
• Chapter 5.2: मध्ययुगीन काव्य - बाल लीला
• Chapter 9: गजलें (दोस्ती, मौजूद)
• Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ
• Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है
• Chapter 13: नुक्कड़ नाटक (मौसम, अनमोल जिंदगी)
• Chapter 14: हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ
• Chapter 15: समाचार : जन से जनहित तक
• Chapter 16: रेडियो जॉकी
• Chapter 17: ई-अध्ययन : नई दृष्टि
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