Advertisement

Chapter 8 - तत्सत Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 11th Standard HSC Maharashtra State Board

Chapter 8: तत्सत


लिखिए :

बड़ दादा केअनुसार आदमी ऐसेहोतेहैं-

(१) ____________

(२) ____________

(३) ____________



SOLUTION

1) इनमें पत्ते नहीं होते

2) इनमें जड़े नहीं होती

3) ताना ही ताना होता है



वन के बारे में इसने यह कहा -

(१) बड़ दादा ने - ____________

(२) घास ने - ____________

(३) शेर ने - ____________



SOLUTION

(१) बड़ दादा ने: इतनी उमर हुई, उस भयावने वन को तो मैंने भी नहीं देखा। सभी जानवर मैंने देखे हैं। शेर, चीता, भालू, हाथी, भेड़िया। पर वन नामक जानवर को मैंने अब तक नहीं देखा।

(२) घास ने: मैं वन को नहीं जानती। लोगों की जड़ों को ही मैं जानती हूँ। मैं यहाँ से वहाँ तक बिछी रहती हूँ। सभी कुछ मेरे ऊपर से निकलता है। पर वन को मैंने अलग करके कभी नहीं पहचाना।

(३) शेर ने - मैं वन को फाड़-चीरकर रख दूँ। मेरे सामने वह कुछ नहीं हैं। वन का सामना मुझसे हो तो वह जीता बच नहीं सकता। वन को खुली चुनौती है।



घास की विशेषताएँ -


SOLUTION

1) घास की पहुंच सब कही है

2) वसत सर्वत्र व्याप्त है

3) वह ऐसे बिछी रहती है कि किसी को उसकी शिकायत नहीं होती

4) वह लोगों की जड़ों को जानती है



पर्यायवाची शब्दों की संख्या लिखिए :

जैसे – बादल - पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज (3)


SOLUTION

(१) भौंरा - भ्रमर, षट्पद, भंवर, हिमकर (2)

(२) धरा - अवनी, शामा, उमा, सीमा (1)

(३) अरण्य - वन, विपिन, जंगल, कानन (4)

(४) अनुपम - अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट (3)



निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द तैयार कर उपसर्ग के अनुसार उनका वर्गीकरण कीजिए –

कामयाब, न्याय ,मान ,सत्य,गुण,मंजूर, मेल, यश, संग

 

उपसर्ग

मूल शब्द

शब्द

उदा.

गैर

जिम्मेदार

गैर जिम्मेदार



SOLUTION

 

उपसर्ग

मूल शब्द

शब्द

उदा.

गैर

जिम्मेदार

गैर जिम्मेदार

1

ना

कामयाब

नाकामयाब

2

सत्य

असत्य

3

बे

मेल

बेमेल

4

न्याय

अन्याय

5

अव

गुण

अवगुण

6

अप

यश

अपयश

7

अप

मान

अपमान

8

ना

मंजूर

नामंजूर

9

कु

संग

कुसंग



‘अभयारण्यों की आवश्यकता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए |


SOLUTION

अभयारण्य का अर्थ है अभय + अरण्य। अर्थात वह अरण्य का वन, जिसमें जानवर अभय होकर घूम सके। सरकार अथवा किसी अन्य संस्था द्वारा संरक्षित वन्य, पशु-विहार या पक्षी बिहार के 'अभयारण्य' कहते हैं। इनका उद्देश्य पशु, पक्षी तथा वनसंपदा को संरक्षित करना, उसका विकास करना तथा शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में इनकी मदद लेना होता है। भारत कई प्रकार के जंगलों, जीवों, पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का घर है। यहाँ वन्य जीवों की संख्या बहुत अधिक है। यहाँ के पशु-पक्षियों को अपने प्राकृतिक निवासस्थान में देखने का आनंद अलग है। वन्य जीवन प्रकृति की अनुपम देन है। वन्य जीवों का वनों से अटूट रिश्ता है। मानव ने वन्य जीवों का खात्मा इस निर्ममता के साथ किया है कि कुछ वन्य प्राणियों की प्रजाति ही लुप्तप्राय हो गई और कुछ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। भारतवर्ष में वन्य जीवों को विलुप्त होने से बचाने के लिए १९२७ में भारतीय वन अधिनियम बनाया गया। में वन्य जीवों के शिकार को अपराध माना गया। १९३६ में उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बनाया गया। आज देश में ३०० से अधिक ऐसे संरक्षित क्षेत्र हैं। 

 



‘पर्यावरण और हम’, इस विषय पर अपना मत लिखिए ।


SOLUTION

यथार्थ में पर्यावरण और जीव अन्योन्याश्रित हैं। एक की दूसरे से पृथक सत्ता की कल्पना भी संभव नहीं है। सभी जीवों का अस्तित्व पर्यावरण पर ही निर्भर करता है। पर्यावरण जीवों को केवल आधार ही नहीं प्रदान करता, वरन उनकी विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए एक माध्यम का भी काम करता है। प्रकृति मानव की सहचरी है। यह स्वभावतः संतुलित पर्यावरण के द्वारा मानव को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। हमारे ऋषि-मुनि प्रकृति की सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध थे। यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण को समाप्त करके पर्यावरण को शुद्ध किए जाने की वैज्ञानिक विधि से विज्ञ थे। मानव इतिहास के प्रारंभ से ही अपने पर्यावरण में रुचि रखता आया है। आदिम समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अस्तित्व हेतु अपने पर्यावरण का समुचित ज्ञान आवश्यक होता था। परंतु आज का मानव स्वार्थ की अंधी दौड़ में पर्यावरण को नष्ट करने पर तुला है। प्रकृति का दोहन करके वह सारी उपलब्धियाँ तत्काल पा लेना चाहता है। वर्तमान में पर्यावरण एक गंभीर समस्या के रूप में हमारे सामने खड़ा है, जिसके लिए शीघ्र ही कुछ न किया गया, तो एक विकट संकट उत्पन्न हो सकता है। प्रकृति से छेड़छाड़ मानव को विनाश की ओर ले जा रही है। उसे समझना होगा कि उसका जीवन तभी तक बच सकता है जब तक जल, जंगल और जानवर बचेंगे। प्रकृति से छेड़छाड करना बंद करना होगा। पर्यावरण से प्रेम करना होगा। उसका संरक्षण करना होगा। 

 



टिप्पणियाँ लिखिए

(1) बड़ दादा

(2) सिंह

(3) बाँस


SOLUTION

(1) बड़दादा : बड़ एक विशाल, घना, छायादार और दीर्घजीवी वृक्ष है। इसका तना सीधा एवं कठोर होता है। यह वृक्षों के राजा के समान है। बड़ की शाखाओं से जड़ें निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ती हुई धरती में घुस जाती हैं। इसकी विशालता के कारण इसकी छाया में अनगिनत पशु-पक्षी, जीव-जंतु आश्रय लेते हैं। यह सभी से प्रेम करते हैं। वन में सभी उसे बड़ दादा के नाम से पुकारते हैं। वन के सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे बड़ दादा को बुद्धिमान मानते हैं। अपनी शंकाएँ और समस्याएँ बड़ दादा के सामने रखते हैं और उनके द्वारा दिए गए समाधान को मानते हैं। शाम होते ही दादा मौन हो जाते हैं। वन में सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे एक बुजुर्ग के समान बड़ दादा का सम्मान भी करते हैं।

(2) सिंह : परशुराम सिंह जंगल का अघोषित राजा है। सिंह बड़ा बलवान, पराक्रमी, शक्तिशाली, गौरवपूर्ण, ओजस्वी जानवर है, साथ ही अभिमानी भी है। यह देवी दुर्गा का वाहन है। जंगल के सभी जीव-जंतु सिंह से डरते हैं और उसे देखते ही इधर-उधर छिप जाते हैं। वन में हर तरफ उसका दबदबा रहता है। किसी की हिम्मत नहीं होती कि सिंह के सामने पड़े। उसकी एक गर्जना से ही सारी दिशाएँ काँपने लगती हैं। चारों ओर आतंक छा जाता है। सिंह स्वभाव से हिंसक होता है। इसमें अद्भुत साहस और फुर्ती होती है। सिंह की देखने की शक्ति दिन की अपेक्षा रात में अधिक होती है। अतः रात होते ही ये शिकार को निकल पड़ते हैं। एक वयस्क सिंह का वजन २०० से २५० किलोग्राम तक हो सकता है।

(3) बाँस: बाँस पृथ्वी पर सबसे तेज गति से बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। इसका तना लंबा और सीधा होता है। बाँस में शाखाएँ नहीं होती। यह अंदर से खोखला होता है। बाँस के वनों में जब तेज हवा चलती है तो इसके खोखलेपन के कारण एक अलग प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसीलिए फूँक मारकर बजाए जाने वाले वाद्य बाँस से बनाए जाते हैं। बाँस घर बनाने के काम तो आता ही है, यह भोजन का स्रोत भी है। बाँस एक ऐसी फसल है, जिस पर सूखे एवं कीट बीमारियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में ३० प्रतिशत अधिक कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ता है। बाँस से कागज, कुरसी, मेज, चारपाई, टोकरी, तीर, धनुष, भाले आदि बनाए जाते हैं। इस प्रकार बाँस एक बहुउपयोगी वृक्ष है।


जानकारी दीजिए:

जैनेंद्र कुमार की कहानियों की विशेषताएँ।


SOLUTION

जैनेंद्र जी बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे। उन्होंने साहित्य, समाज, धर्म, संस्कृति, राजनीति, दर्शन आदि से संबंधित विविध विषयों पर विशिष्ट कहानियों की रचना की है। जिनमें व्यक्ति, समाज और जीवन की समस्याओं का चित्रण सामंतवादी दृष्टिकोण से किया गया है। समस्याओं का समाधान सहदयता के वातावरण में किया गया है। चिंता, मनोविश्लेषक, दार्शनिक और विचारक होने के कारण उनके अधिकांश साहित्य में चिंतन और मनन की प्रधानता है। किंतु उनका बुद्धिवाद वैज्ञानिक के बुद्धिवाद के समान नग्न नहीं है, बल्कि वह मंगल की भावना पर आधारित है।



अन्य कहानीकारों के नाम।


SOLUTION

(1) प्रेमचंद

(2) जयशंकर प्रसाद

(3) यशपाल

(4) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'

(5) भीष्म साहनी

(6) कृष्णा सोबती

(7) मन्नू भंडारी

(8) कमलेश्वर

(9) चंद्रगुप्त विद्यालंकार।


निम्नलिखित रसों के उदाहरण लिखिए:

हास्य


SOLUTION

हास्य: विंध्य के वासी, उदासी, तपी, व्रत धारी महा बिनु नारी दुखारे।

गौतम तिय तरि तुलसी सों कथा सुनि भे मुनि वृंद सुखारे।।



वात्सल्य 


SOLUTION

वात्सल्य : प्रिय पति वह मेरा प्राणप्यारा कहाँ है?

दुख जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है?

लख मुख जिसका मैं आज लो जी सकी हूँ,

वह हृदय हमारा प्राणप्यारा कहाँ है?


.

Hindi - Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions for HSC Maharashtra State Board


 • Chapter 1: प्रेरणा

 • Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट)

 • Chapter 3: पंद्रह अगस्त

 • Chapter 4: मेरा भला करने वालों से बचाएँ

 • Chapter 5.1: मध्ययुगीन काव्य - भक्ति महिमा

 • Chapter 5.2: मध्ययुगीन काव्य - बाल लीला

 • Chapter 6: कलम का सिपाही

 • Chapter 7: स्वागत है !

 • Chapter 8: तत्सत

 • Chapter 9: गजलें (दोस्ती, मौजूद)

 • Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ

 • Chapter 11: भारती का सपूत

 • Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है

 • Chapter 13: नुक्कड़ नाटक (मौसम, अनमोल जिंदगी)

 • Chapter 14: हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ

 • Chapter 15: समाचार : जन से जनहित तक

 • Chapter 16: रेडियो जॉकी

 • Chapter 17: ई-अध्ययन : नई दृष्टि


.

Chapter 8 - तत्सत Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 11th Standard HSC Maharashtra State Board